शरद कटियार
सूरज (Sun) — वह आकाशीय पिंड, जिसके बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी असंभव है। उसकी ऊर्जा ही धरती को रोशनी और जीवन देती है, लेकिन यही ऊर्जा (energy) कई बार अनियंत्रित रूप लेकर हमारे तकनीकी ढांचे और अंतरिक्ष अभियानों के लिए खतरा भी बन जाती है। सवाल उठता है कि क्या मानवता सूरज के बदलते मिजाज को समय रहते समझ सकेगी? अब इसका उत्तर धीरे-धीरे सामने आ रहा है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और प्रौद्योगिकी दिग्गज आईबीएम की साझेदारी में तैयार किया गया एआई-सक्षम टेलीस्कोप इसी दिशा में क्रांतिकारी कदम है। यह टेलीस्कोप सूर्य की गतिविधियों को न केवल दर्ज करेगा, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से उनका विश्लेषण भी करेगा। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि सौर तूफानों जैसी घटनाओं की पहचान पहले ही हो सकेगी। समय रहते चेतावनी मिलने पर बिजली ग्रिड, सैटेलाइट, इंटरनेट नेटवर्क, जीपीएस और विमानन क्षेत्र जैसी अहम प्रणालियों को सुरक्षित किया जा सकेगा।
आज की दुनिया पूरी तरह तकनीक पर निर्भर है। इंटरनेट, नेविगेशन और उपग्रह सेवाओं पर पड़ने वाला मामूली व्यवधान भी करोड़ों लोगों की जिंदगी और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में यह एआई-आधारित टेलीस्कोप केवल वैज्ञानिक जिज्ञासा की पूर्ति नहीं करेगा, बल्कि हमारी तकनीकी सुरक्षा का कवच बनेगा। अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा से लेकर धरती पर संचार व्यवस्था तक, इसका महत्व अपार है।
नासा और आईबीएम की यह पहल आने वाले समय में स्पेस वेदर यानी अंतरिक्ष मौसम की जटिलताओं को समझने का मार्ग प्रशस्त करेगी। अब तक सूरज की हलचलें केवल वैज्ञानिकों की चिंता थीं, लेकिन अब उनका असर सीधे आम आदमी की जिंदगी से जुड़ा है। इसलिए यह तकनीक न सिर्फ शोध का हिस्सा है, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की सुरक्षा का अहम आधार भी है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि एआई और विज्ञान का यह संगम हमें सूरज के और करीब ले जाएगा। फर्क इतना होगा कि अब यह नज़दीकी हमें रोशनी ही नहीं, बल्कि सुरक्षा की गारंटी भी देगी।
शरद कटियार
ग्रुप एडिटर
यूथ इंडिया न्यूज ग्रुप