आगरा राज्य के कन्नौज से मैनपुरी और आगरा सहित मध्य यूपी तक अपराधियों का काल बन चुके हैं पूर्व SOG प्रभारी दीक्षित
आगरा। ज्वेलर योगेश चौधरी की हत्या और लूट के सनसनीखेज मामले में चार दिन की घेराबंदी और जबरदस्त प्लानिंग के बाद मंगलवार को अंत हो गया। कुख्यात अपराधी अमन यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। लेकिन इस ऑपरेशन की असली रीढ़ साबित हुए वो अधिकारी जिनका नाम सुनते ही अपराधियों की नींद उड़ जाती है — कुलदीप दीक्षित।
वर्तमान में मैनपुरी में तैनात कुलदीप दीक्षित पहले आगरा के SOG प्रभारी रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में पुलिस ने न सिर्फ अमन यादव जैसे खूंखार अपराधी का अंत किया, बल्कि कन्नौज, मैनपुरी और फर्रुखाबाद में आतंक का पर्याय बने बावरिया गिरोह का भी सफाया कर डाला था।
बावरिया गिरोह का खात्मा — एक मिसाल
बावरिया गिरोह, जो हाईवे लूट, घरों में डकैती और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए बदनाम था, उसका खात्मा भी दीक्षित की रणनीति और जमीनी पकड़ से ही संभव हो सका।
2019–2021 के बीच कुल 23 बड़ी वारदातों में शामिल इस गिरोह के 14 मुख्य सदस्यों को गिरफ्तार या मुठभेड़ में ढेर किया गया।
दीक्षित ने सीसीटीवी विश्लेषण, सर्विलांस टीमों और लोकल खबरी नेटवर्क का ऐसा समन्वय किया कि बावरिया गैंग का पूरा तंत्र ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।
अमन यादव एनकाउंटर में निर्णायक भूमिका
जब आगरा पुलिस को सीसीटीवी से अमन यादव की पहचान हुई, तो सबसे पहले याद आया दीक्षित का नाम — क्योंकि अमन यादव का क्राइम स्टाइल और मूवमेंट पैटर्न उन्हें पहले से ज्ञात था।
दीक्षित ने संभावित रूट, सहयोगियों के ठिकानों और अमन की साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग पर काम करते हुए ऑपरेशन की रणनीति बनाई।
बिचपुरी गांव की घेराबंदी, लोकेशन की पुष्टि, और फील्ड टीम को इंटेल सपोर्ट — सब कुछ इस योजना के तहत हुआ।
जनता में भरोसे का नाम: दीक्षित
आगरा से लेकर कन्नौज, मैनपुरी और फिरोजाबाद तक दीक्षित की पहचान एक एक्शन में यकीन रखने वाले ईमानदार और जुझारू अफसर के रूप में बनी है।
उनके ऑपरेशन के दौरान पिछले 5 वर्षों में 35 से अधिक वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी और 10 बड़े एनकाउंटर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
आतंक के नाम पर जानी जाने वाली गलियों में अब राहत की सांस ली जाती है — क्योंकि वहां एक बार दीक्षित का नाम गूंज चुका है।
अंतिम वार और नया विश्वास
अमन यादव के साथ इस केस का अंत जरूर हुआ, लेकिन कुलदीप दीक्षित की भूमिका ने फिर यह साबित कर दिया कि सिस्टम में ऐसे अफसर जब तक मौजूद हैं, तब तक अपराधी बच नहीं सकते।
जनता के लिए दीक्षित अब सिर्फ एक पुलिस अधिकारी नहीं, एक भरोसे का प्रतीक बन चुके हैं।