– क्षेत्राधिकारी अजय वर्मा की मौजूदगी में हुआ विवाद का शांतिपूर्ण समाधान
अमृतपुर (फर्रुखाबाद): राजेपुर थाना (Rajepur police station) क्षेत्र के ग्राम सलेमपुर में आयोजित एक बौद्ध कथा के दौरान कथावाचक (narrator) द्वारा हिंदू धार्मिक प्रतीकों कलावा और तिलक पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद विवाद गहरा गया। इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) के जिला मंत्री विमलेश मिश्रा व अन्य कार्यकर्ताओं ने तीव्र आपत्ति जताई और विरोध जताया।
घटना के बाद शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक राजेपुर थाने में दोनों पक्षों के बीच वार्ता होती रही। इस दौरान क्षेत्राधिकारी अमृतपुर अजय वर्मा, थाना अध्यक्ष नवीन कुमार सिंह, जिला पंचायत सदस्य राहुल कुशवाहा, आयोजक अनिल कुशवाहा, व अन्य सामाजिक प्रतिनिधि मौजूद रहे। कथावाचक द्वारा कथा के दौरान सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म के कलावा और तिलक लगाने की परंपरा पर टिप्पणी की गई थी, जिसे हिंदू संगठनों ने धर्म का अपमान बताया। विश्व हिंदू परिषद के विमलेश मिश्रा और उनके समर्थकों ने कथावाचक से सार्वजनिक माफी की मांग की।
थाने में आयोजित वार्ता के दौरान सलेमपुर निवासी आयोजक अनिल कुशवाहा ने लिखित रूप में माफी मांगी और स्वीकार किया कि कलावा और तिलक पर की गई टिप्पणी अनुचित थी। उन्होंने भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का भी आश्वासन दिया। वार्ता के दौरान विमलेश मिश्रा और जिला पंचायत सदस्य राहुल कुशवाहा के बीच काफी नोकझोंक भी हुई। राहुल कुशवाहा ने कहा कि “मेरा पक्ष माफी नहीं मांगेगा,” जिस पर विमलेश मिश्रा ने कहा कि “यदि कलावा और तिलक की माफी नहीं मांगी गई तो विधिक कार्रवाई की जाएगी।”
स्थिति कुछ देर के लिए तनावपूर्ण रही, लेकिन क्षेत्राधिकारी अजय वर्मा की मध्यस्थता और समझदारी से मामला शांत हुआ। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता हुआ। विवाद के चलते विहिप की ओर से 40–50 पदाधिकारी व समर्थक तथा राहुल कुशवाहा के पक्ष से लगभग 30–40 ग्रामीण राजेपुर थाने पहुंचे, जिससे थाने में तीन घंटे तक काफी भीड़भाड़ बनी रही। हालांकि, पुलिस बल की मुस्तैदी से स्थिति नियंत्रण में रही।
क्षेत्राधिकारी अजय वर्मा ने प्रेस से बातचीत में बताया, “दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बन गई है। कथावाचक की ओर से आयोजक अनिल कुशवाहा ने लिखित रूप में माफी दी है और भविष्य में ऐसा न करने का वादा किया है।” इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ी बातों को लेकर समाज में संवेदनशीलता बनी रहती है। ऐसे में आयोजकों और वक्ताओं को संयम और सौहार्द के साथ अपनी बातें कहनी चाहिए ताकि सामाजिक समरसता बनी रहे।