विशेष न्यायाधीश रितिका त्यागी ने सुनाया फैसला, दोनों दोषियों पर जुर्माना भी लगाया
फर्रुखाबाद: करीब 22 साल पुराने गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act) के एक चर्चित मामले में आखिरकार न्याय की मुहर लग गई। विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट रितिका त्यागी की अदालत ने दो आरोपियों को दोषी ठहराते हुए प्रत्येक को छह-छह साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में दोषियों को दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
मामला और पृष्ठभूमि:
यह मामला वर्ष 2003 का है, जब 6 अगस्त 2003 को कायमगंज कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक नरसिंह पाल सिंह ने गांव उलियापुर निवासी तीन शातिर अपराधियों — सूरजपाल उर्फ डावला, राम बहादुर पुत्र लटूरी बाथम, और राजेश उर्फ राजू पुत्र विजेन्द्र सिंह उर्फ लल्लू के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
एफआईआर में कहा गया था कि ये तीनों अपराधी विभिन्न थानों में गंभीर आपराधिक मामलों में वांछित हैं। ये क्षेत्र में रंगदारी वसूली, मारपीट और भय का माहौल बनाकर लोगों को आतंकित करते थे। ग्रामीण इनसे इतने भयभीत थे कि कोई भी इनके खिलाफ गवाही देने तक को तैयार नहीं होता था।
पुलिस ने जांच पूरी कर तीनों आरोपियों के खिलाफ गिरोहबंद समाज विरोधी क्रियाकलाप (गैंगस्टर) अधिनियम में न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया।
मुकदमे की सुनवाई:
मामले की लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान एक आरोपी राम बहादुर की मृत्यु हो गई, जिसके चलते उनके विरुद्ध सुनवाई समाप्त कर दी गई। वहीं अन्य दो आरोपियों — सूरजपाल उर्फ डावला और राजेश उर्फ राजू — के विरुद्ध मुकदमे की सुनवाई पूरी की गई।
विशेष न्यायाधीश रितिका त्यागी ने दोनों पक्षों की दलीलें, साक्ष्य और गवाहों के आधार पर दोनों को गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी करार दिया और उन्हें छह-छह साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष की भूमिका:
अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता शैलेन्द्र परमार ने प्रभावशाली ढंग से पक्ष रखा और दोषियों के आपराधिक इतिहास तथा समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को अदालत के समक्ष रखा।