फर्रुखाबाद: प्रदेश सरकार की निबंधन मित्र योजना (Registration Mitra Scheme) के विरोध में फर्रुखाबाद (Farrukhabad) की तीनों तहसीलों—सदर, अमृतपुर व कायमगंज—में अधिवक्ताओं, दस्तावेज लेखकों और स्टाम्प वेण्डरों की हड़ताल सोमवार को सातवें दिन भी जारी रही। लगातार विरोध के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई वार्ता नहीं हो सकी है, जिससे नाराज अधिवक्ताओं ने मंगलवार से तहसील परिसर में पूर्ण कार्य बहिष्कार व तालाबंदी की चेतावनी दी है।
नारेबाजी के साथ विरोध प्रदर्शन, बारिश के बावजूद डटे रहे वकील
सोमवार को सुबह हुई वर्षा के बाद जैसे ही मौसम साफ हुआ, वकीलों और कातिबों ने सदर तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय के सामने धरना शुरू कर दिया। “अधिवक्ता एकता जिंदाबाद”, “तानाशाही नहीं चलेगी”, “जोर-जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है” जैसे नारे लगाते हुए उन्होंने सरकार के निर्णय का विरोध किया।
विरोध कर रहे अधिवक्ताओं और लेखकों का कहना है कि निबंधन मित्र योजना के लागू होते ही सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा। अधिवक्ता व दस्तावेज लेखक सरकार की इस योजना को आमजन और उनके हितों के प्रतिकूल बता रहे हैं। अब तक किसी भी अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता नहीं की है। तहसील बार एसोसिएशन के सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को पत्र लिखकर समर्थन मांगा गया है। वहीं जिला बार एसोसिएशन ने पहले ही हड़ताल को समर्थन देने की बात कही है। उन्होंने जानकारी दी कि 27 व 28 मई को कलेक्ट्रेट के अधिवक्ता भी आंदोलन में भाग लेंगे।
हड़ताल के चलते सोमवार को तहसीलों में सन्नाटा पसरा रहा। न तो बैनामा हुआ, न ही किसी रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की गई। कई लोग दस्तावेज़ तैयार कराने आए लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। अधिवक्ताओं व कातिबों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
धरने पर बैठे अधिवक्ताओं, बैनामा लेखकों और स्टाम्प वेण्डरों ने शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे संवेदनशील बनें और इस योजना को तत्काल प्रभाव से वापस लें। उनका कहना है कि निबंधन मित्रों की नियुक्ति पारंपरिक दस्तावेज़ लेखकों व अधिवक्ताओं के हितों के खिलाफ है। इस दौरानसंयुक्त सचिव विकास सक्सेना, पूर्व उपाध्यक्ष ओमप्रकाश दुबे (ओमू), अधिवक्ता विपिन यादव, अंशुमान तिवारी, पंकज राजपूत, आशीष राजपूत, राकेश कुमार सक्सेना, अंशुमान सिंह, राजेश वर्मा, ऋषि श्रीवास्तव, स्वदेश दुबे, अमित सक्सेना सहित दर्जनों अधिवक्ता आंदोलन में शामिल रहे।
बैनामा लेखक संघ के पदाधिकारी—अध्यक्ष विनोद कुमार सक्सेना, महामंत्री मनोज त्रिवेदी, विशुनदयाल राजपूत, घनश्याम सक्सेना, संजीव भारद्वाज, अरुण कुमार सक्सेना, प्रदीप कुमार सक्सेना, तथा स्टाम्प वेण्डर ललित तांबा, सौरभ सक्सेना, अरुणेश सक्सेना, राजीव सक्सेना, राजीव सैनी, इन्द्रा अग्रवाल सहित अनेक लोग धरने पर डटे रहे।