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Wednesday, February 5, 2025

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ता कल्याण कोष का पैसा अब वकीलों पर नहीं लगता

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लखनऊ (शरद कटियार)। उत्तर प्रदेश में वकीलों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव द्वारा शुरू किया गया अधिवक्ता कल्याण कोष (Advocate Welfare Fund) अब वकीलों के उत्थान में उपयोग नहीं हो रहा है। यह कोष वकीलों के कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण योजना थी, जिसे मुलायम सिंह यादव ने 2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरू किया था। इसका उद्देश्य वकीलों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और उनके सामाजिक एवं पेशेवर जीवन को बेहतर बनाना था।

इस कोष के माध्यम से वकीलों को कई लाभ मिलते थे, जैसे पेंशन योजना, स्वास्थ्य बीमा, और आकस्मिक मृत्यु के मामलों में आर्थिक सहायता। इसके अलावा, वकीलों के लिए अधिवक्ता भवनों का निर्माण भी हुआ था, ताकि वकीलों को एक स्थिर कार्यस्थल मिले। ये भवन वकीलों के लिए एक स्थायी स्थान प्रदान करते थे, जहां वे अपने मामलों पर चर्चा कर सकते थे और एक बेहतर कार्य वातावरण का निर्माण कर सकते थे।

2003 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद अधिवक्ता कल्याण कोष की शुरुआत की गई थी।
अधिवक्ता भवनों का निर्माण 2000 के दशक के मध्य में शुरू हुआ था, और अब तक प्रदेशभर में 12 से अधिक अधिवक्ता भवन बन चुके हैं, जो वकीलों के कार्यस्थल की आवश्यकता को पूरा करते हैं।

अधिवक्ता कल्याण निधि में रोज़ाना पैसा इकठ्ठा होता था, जो मुख्य रूप से 10 रुपये के वकालतनामे पर लगने वाली टिकट से जमा किया जाता है।

इसके अलावा, 2 रुपये का स्टांप शुल्क भी इस निधि में जोड़ा जाता है, जो राजस्व में जाता था और वकीलों की कल्याण योजनाओं के लिए उपयोग में आता था।

इस कोष के माध्यम से वकीलों को दी जाने वाली पेंशन योजना और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं उनके जीवन को सुरक्षित करती थीं। लेकिन अब, वर्तमान सरकार के निर्णय के बाद वकीलों को इस कोष से कोई मदद नहीं मिल रही है, जिससे वे हताश और निराश हो गए हैं।

वकील संगठनों का कहना है कि इस कोष का बंद होना उनके लिए एक बड़ा झटका है। कई वकीलों का मानना है कि यदि यह कोष जारी रहता तो उन्हें अपने पेशेवर जीवन में और भी अधिक सुविधाएं मिल सकती थीं। अब वकील संगठनों ने सरकार से इस कोष को फिर से बहाल करने की मांग की है। उनका कहना है कि वकील समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनके कल्याण के लिए इस तरह की योजनाओं का होना बहुत जरूरी है।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट और राज्य उच्च न्यायालय में भी वकीलों की समस्याओं को लेकर आवाज उठाई जा चुकी है। हालांकि, फिलहाल इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वकील संगठनों का कहना है कि अगर सरकार इस कोष को फिर से लागू करती है, तो इससे वकीलों के जीवन स्तर में सुधार हो सकता है और उनके कार्यस्थल की परिस्थितियों में भी बदलाव आ सकता है।

मुलायम सिंह यादव के समय में शुरू किया गया अधिवक्ता कल्याण कोष वकीलों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन अब यह कोष वकीलों को नहीं मिल रहा है। वर्तमान सरकार की नीतियों के चलते वकीलों की स्थितियों पर असर पड़ा है। वकील संगठनों की ओर से इस कोष की वापसी के लिए कई पहल की जा रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह वकीलों के कल्याण के लिए इस कोष को फिर से बहाल करे और उनके उत्थान के लिए नई योजनाएं शुरू करे।

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