फर्रुखाबाद: Farrukhabad जिले की बहुचर्चित “फर्रुखाबाद महायोजना 2031” को लेकर अब जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ कानूनी विशेषज्ञ भी सवाल उठाने लगे हैं। इसी कड़ी में वरिष्ठ अधिवक्ता (Advocate) अशोक कटियार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत नगर मजिस्ट्रेट, विनिमय क्षेत्र से इस महायोजना से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी हैं।
कटियार ने अपने पत्र में मांग की है कि महायोजना 2031 के अंतर्गत प्रस्तावित समस्त सड़कों की चौड़ाई की जानकारी सड़कवार उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने विशेष रूप से सेंट्रल जेल से रमपुरा, बुड़नामऊ होते हुए कानपुर तक जाने वाली सड़क के बारे में स्पष्ट किया है कि क्या यह सड़क निनौआ, जगतनगर, याकूतगंज से होकर कानपुर रोड से जोड़ी जाएगी?
उन्होंने इस योजना के अंतर्गत सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए गंभीर चिंता जताई है। उनके अनुसार, इन क्षेत्रों—निनौआ, रमपुरा, जगतनगर, याकूतगंज—में दलित व पिछड़े वर्ग की बड़ी संख्या में आबादी निवास करती है, जिनके मकान संभावित रूप से सड़क चौड़ीकरण के नाम पर तोड़े जा सकते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने यह पूछा है कि यदि मकान तोड़े जाते हैं, तो प्रभावित परिवारों को कितना मुआवजा दिया जाएगा?
एक अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न में श्री कटियार ने पूछा है कि यदि जिले की सभी प्रमुख सड़कों की प्रस्तावित चौड़ाई 30 मीटर है, तो फिर सेंट्रल जेल से रमपुरा होकर कानपुर जाने वाली सड़क को 60 मीटर चौड़ा करने और उसके साथ 60 मीटर ग्रीन बेल्ट बनाए जाने की क्या आवश्यकता है? उन्होंने इस योजना के औचित्य और तर्क पर सवाल खड़े किए हैं।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी जानकारी मांगी है कि क्या निनौआ, रमपुरा, कीरतपुर, बुडनामऊ, लखमीपुर, याकूतगंज, नगला पजाबा, राघवपुर, बरुआ आदि ग्रामों की भूमि को अधिग्रहीत कर फर्रुखाबाद विकास प्राधिकरण, आवास विकास, औद्योगिक क्षेत्र या किसी अन्य व्यावसायिक संस्था के लिए प्रयोग करने की कोई योजना प्रस्तावित है? साथ ही यह भी पूछा गया है कि यदि किसानों की भूमि ली जाती है, तो उन्हें प्रति बीघा कितनी धनराशि मुआवजे के रूप में दी जाएगी?
वरिष्ठ अधिवक्ता की यह पहल न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग है, बल्कि इससे महायोजना से जुड़े संभावित सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर भी नई बहस की शुरुआत हो सकती है।