शाहजहांपुर: कागजों में प्रशासनिक निर्देशों (administrative instructions) का खेल चलता रहा, जमीनी हकीकत में कुछ नहीं बदला—और नतीजा यह हुआ कि रविवार को मां-बेटी की जान चली गई। 4 साल की मासूम काजू की लाश (body) सोमवार सुबह गोताखोरों ने बरामद की। सवाल यह है कि इन मौतों का जिम्मेदार कौन?
यह दर्दनाक हादसा थाना मिर्जापुर क्षेत्र के ग्राम पैलानी से इस्लामनगर मार्ग पर हुआ, जहां लगातार बढ़ते जलस्तर और तेज बहाव के बावजूद आवागमन पर रोक नहीं लगाई गई। कासगंज से कलान क्षेत्र में रक्षाबंधन मनाने आया एक परिवार लौटते वक्त पानी में बह गया। बाइक सवार दंपत्ति और दो बच्चे स्टेट हाइवे पर बह रहे पानी में समा गए। महिला की मौके पर मौत हो गई, पति और एक बच्चा ग्रामीणों ने बचा लिया, लेकिन 4 वर्षीय काजू को पानी निगल गया।
क्षेत्रीय लेखपाल ने दो दिन पहले तहसीलदार को लिखित रिपोर्ट भेजी थी कि स्टेट हाइवे पर जलस्तर और बहाव खतरनाक स्तर पर है, तुरंत आवागमन रोका जाए। तहसीलदार ने रिपोर्ट एसडीएम कलान को भेजी, और एसडीएम ने थाना प्रभारी को अस्थाई पुलिस चौकी बनाकर यातायात रोकने के निर्देश दिए। लेकिन हकीकत में न चौकी बनी, न बैरिकेडिंग, न चेतावनी—बस मौत का इंतजार हुआ।
हादसे के बाद जब एसडीएम कलान अभिषेक प्रताप सिंह को फोन मिलाया गया तो कई बार कॉल करने के बाद भी रिसीव नहीं हुआ। सीओ जलालाबाद से संपर्क किया गया तो उनका जवाब सुनकर हैरानी और गुस्सा दोनों बढ़ गया। यह लापरवाही सिर्फ आदेशों की अवहेलना नहीं, बल्कि इंसानी जान की कीमत को मुआवजे तक सीमित कर देने का क्रूर उदाहरण है।
तीन-तीन मंत्रियों बाले जनपद और सीएम योगी आदित्यनाथ की जीरो टालरेंस व्यवस्था के बाद जिले में प्रशासन और पुलिस का यह हाल है कि न कोई डर, न जवाबदेही। कैमरों के सामने बाढ़ प्रबंधन के खोखले दावे, सरकारी ग्रुपों में रोज वीडियो भेजने का नाटक—और जमीन पर मौत का खेल जारी।
जनहानि के बाद एडीएम वित्त एवं राजस्व अरविन्द कुमार और एसपी देहात दीक्षा भंवरे अरुण मौके पर पहुंचे, रोड बंद किया, बैरिकेडिंग लगाई। लेकिन तब तक मां-बेटी की लाशें कहानी कह चुकी थीं—यह हादसा टाला जा सकता था, अगर निर्देशों पर अमल होता, सिर्फ कागज पर हस्ताक्षर नहीं।