उरई,जालौन: जिले में ड्रोन (drone) संचालन को लेकर प्रशासन (Administration) ने कड़ा रुख अपना लिया है। मंगलवार को विकास भवन स्थित रानी लक्ष्मीबाई सभागार में जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय और पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने प्रेस वार्ता कर स्पष्ट कहा कि ड्रोन उड़ाने से पहले हर हाल में तय नियमों का पालन जरूरी है। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी जिलाधिकारी ने कहा कि ड्रोन तकनीक विकास के लिए सहायक है, लेकिन इसका दुरुपयोग जनसुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
उन्होंने बताया कि ड्रोन उड़ाने से पहले डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कर यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) लेना अनिवार्य है। ग्रीन जोन में बिना अनुमति ड्रोन उड़ाया जा सकता है, जबकि येलो और रेड जोन में पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। डीएम ने कहा कि हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, विजय चौक, सचिवालय परिसरों और सैन्य प्रतिष्ठानों के आसपास ड्रोन संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित है। साथ ही ड्रोन अधिकतम 400 फीट की ऊंचाई तक ही उड़ाया जा सकता है।
डीएम ने बताया कि ड्रोन पांच श्रेणियों नैनो, माइक्रो, स्मॉल, मीडियम और लार्ज में विभाजित हैं। इनमें नैनो श्रेणी को छोड़कर अन्य सभी ड्रोन उड़ाने के लिए वैध लाइसेंसधारी पायलट अनिवार्य है। पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने कहा कि बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा। विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध है, केवल विशेष परिस्थितियों में ही छूट मिल सकती है। ड्रोन की रिमोट आईडी से छेड़छाड़ करना या उसे निष्क्रिय करना पूरी तरह गैरकानूनी है।
एसपी ने कहा कि डीजीसीए के नियमों के अनुसार ड्रोन को हमेशा विजुअल लाइन ऑफ साइट में उड़ाना होगा। पायलट की मेडिकल फिटनेस और पृष्ठभूमि जांच भी जरूरी है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक दोनों ने लोगों से अपील की कि वे ड्रोन उड़ाने से पहले सभी नियमों को अच्छी तरह समझ लें, वरना किसी भी हालत में ढील नहीं दी जाएगी।