लखनऊ: जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह (Water Power Minister Swatantra Dev Singh) के बेटे अभिषेक सिंह को बिना किसी आधिकारिक पद (minister son without post) के VIP protocol देने का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। मंत्री के निजी सचिव आनंद शर्मा, जिन्होंने जिलाधिकारी और एसपी को अभिषेक सिंह को भ्रमण के दौरान विशेष प्रोटोकॉल देने के निर्देश दिए थे, उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली स्थित भाजपा नेतृत्व की नाराजगी के बाद की गई।
बताते चलें कि प्रोटोकॉल एक औपचारिक व्यवस्था होती है, जो केवल उन व्यक्तियों को दी जाती है जो संवैधानिक या प्रशासनिक पदों पर हों। इसका मकसद किसी भी अधिकारी या विशिष्ट व्यक्ति को उसकी भूमिका और जिम्मेदारी के अनुसार उचित सम्मान, सुरक्षा और सुविधा देना होता है। इसमें सुरक्षा घेरे से लेकर बैठने की व्यवस्था तक सब कुछ शामिल होता है। लेकिन इस मामले में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बेटे को प्रोटोकॉल देना न केवल नियमों का उल्लंघन था बल्कि यह पद के दुरुपयोग का संकेत भी देता है।
भारत में प्रोटोकॉल का अधिकार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, न्यायाधीश, सेना प्रमुख जैसे उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को होता है। इसके अलावा विदेश से आए राष्ट्राध्यक्षों, राजदूतों, उच्चायुक्तों तथा कुछ विशेष मामलों में पुरस्कार प्राप्त लोगों को भी प्रोटोकॉल का लाभ दिया जाता है। लेकिन अभिषेक सिंह किसी भी संवैधानिक या प्रशासनिक पद पर नहीं हैं, इसलिए उन्हें यह सुविधा देना पूरी तरह गलत था। यह मामला न केवल सरकारी व्यवस्था की गंभीरता को चुनौती देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सत्ता से जुड़े कुछ लोग कैसे नियमों को ताक पर रखकर विशेषाधिकार चाहते हैं। राज्य सरकार द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई इस बात का संकेत है कि प्रोटोकॉल जैसी व्यवस्थाओं का दुरुपयोग अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।