– आगरा धर्मांतरण कांड में नया मोड़
– ‘Revert to Islam’ नामक एक ऑनलाइन ग्रुप
– छह राज्यों से 14 आरोपियों की गिरफ्तारी
– साइबर नेटवर्क समाज को भीतर से खोखला कर रहे
आगरा: उत्तर प्रदेश के Agra में सामने आए धर्मांतरण कांड में सनसनीखेज खुलासों का सिलसिला जारी है। अब्दुल रहमान (Abdul Rehman) नामक युवक पर उत्तराखंड की एक 21 वर्षीय लड़की का धर्मांतरण कराने और उससे चौथी शादी करने की तैयारी करने का आरोप लगा है। पुलिस की तत्परता के चलते लड़की को दिल्ली ले जाने से पहले ही रेस्क्यू कर लिया गया और वह एक गंभीर साजिश का शिकार बनने से बच गई।
यह मामला तब शुरू हुआ जब छह साल पहले फेसबुक पर उत्तराखंड की रहने वाली लड़की की पहचान मुजफ्फरनगर के अब्बू तालीब नामक युवक से हुई। धीरे-धीरे यह संपर्क ‘Revert to Islam’ नाम के एक ऑनलाइन ग्रुप से जुड़ाव में बदल गया, जहां से लड़की की बातचीत दिल्ली, देहरादून और अन्य शहरों के संदिग्ध लोगों से करवाई जाने लगी।
आरोप है कि इस नेटवर्क के सदस्यों ने लड़की को मानसिक रूप से धर्मांतरण के लिए तैयार करना शुरू किया। जब उसका मोबाइल खराब हो गया, तो उसे नया फोन, रिचार्ज और अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया गया। साथ ही यह शर्त रखी गई कि यदि वह मदद चाहती है तो उसे इस्लाम कबूल करना होगा और अब्दुल रहमान से निकाह करना पड़ेगा।
पुलिस के अनुसार, लड़की पर लगातार दबाव बनाया गया। उसे ‘मरियम’ नाम दिया गया, वॉट्सएप पर कलमा पढ़वाया गया और फिर दिल्ली ले जाकर निकाह कराने की योजना बनाई गई। इसके लिए उसे एक मुस्लिम वाहन चालक के माध्यम से हरिद्वार होते हुए दिल्ली भेजने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन ऐन वक्त पर आगरा पुलिस को गुप्त सूचना मिली और उन्होंने सक्रियता दिखाते हुए लड़की को सुरक्षित बचा लिया।
इस मामले में थाना सदर बाजार में 4 मई 2025 को ‘मिशन अस्मिता’ के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब तक इस केस में छह राज्यों से 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हाल ही में 23 जुलाई को तीन मुख्य आरोपियों—दिल्ली का जुनैद कुरैशी (30), अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल (20) और अब्दुल रहीम (27)—को गिरफ्तार किया गया। इन सभी पर सोशल मीडिया के जरिए देशभर की लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए मजबूर करने के गंभीर आरोप हैं।
राहत की बात यह है कि जिस लड़की को बचाया गया, वह अब इस पूरे मामले की मुख्य गवाह बन गई है। अदालत में उसका बयान दर्ज कराया जा चुका है, जिसमें उसने बताया कि कैसे आरोपियों ने उसके मोबाइल की निगरानी की, उसे आर्थिक मदद दी और धर्मांतरण का दबाव बनाया। चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्य आरोपी अब्दुल रहमान पहले ही तीन निकाह कर चुका है और फिर से शादी की योजना बना रहा था। लड़की को दिल्ली भेजने से पहले उससे कहा गया कि वह अपना फोन और सिम तोड़कर फेंक दे, ताकि उसका कोई संपर्क न रह सके।
यह मामला केवल एक लड़की के जबरन धर्मांतरण की साजिश भर नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए देशभर में फैले एक संगठित और गुप्त नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो भोली-भाली लड़कियों को निशाना बना रहा है। आगरा पुलिस की सजगता ने एक बड़ी घटना को टलने से तो रोक लिया, लेकिन यह सवाल जरूर खड़ा करता है कि ऐसे साइबर नेटवर्क कितनी बड़ी संख्या में सक्रिय हैं और समाज को भीतर से कैसे खोखला कर रहे हैं।


