मोहम्मदाबाद। ब्लॉक की आदर्श नगर पंचायत खिमसेपुर के वार्ड नंबर–5 उदित नारायण नगर (नंदसा) में सोमवार को दिल दहला देने वाला दृश्य देखने को मिला, जब आलू की गिरती कीमतों से हताश किसान अमरजीत सिंह ने अपनी मेहनत, उम्मीद और पूंजी—सब कुछ ट्रैक्टर के नीचे दबा दिया।
अमरजीत सिंह ने अपनी दो बीघा आलू की खड़ी फसल को ट्रैक्टर से जुतवा दिया। खेत में लहलहाती फसल देखते-देखते मिट्टी में मिल गई, लेकिन किसान की आंखों में उससे भी गहरी पीड़ा साफ दिखाई दे रही थी।
अमरजीत सिंह का कहना है कि मंडी में आलू के पैकेट का मूल्य महज 100 से 125 रुपये रह गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने नवभारत लवकार किस्म का आलू बोया था, डीएपी खाद उचित मात्रा में डाली, सिंचाई और दवा पर भी खर्च किया। इसके बावजूद दो बीघा आलू की कीमत करीब 60 हजार रुपये होनी चाहिए थी, लेकिन मौजूदा हालात में आलू बिनवाने की मजदूरी तक नहीं निकल पा रही।
“जब फसल बेचकर मजदूरी भी न निकले, तो किसान क्या करे? कर्ज बढ़ाने से अच्छा है फसल ही जोत दी जाए,”
— अमरजीत सिंह (किसान)
अन्य किसानों की चेतावनी
इसी गांव के किसान मुकेश कश्यप पुत्र अशोक कश्यप और महावीर पुत्र बाबूराम ने भी साफ शब्दों में चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द फसलों की कीमत नहीं बढ़ाई, तो वे भी अपनी तैयार फसल जोतने को मजबूर होंगे।
किसानों का आरोप है कि पहले आलू का निर्यात नेपाल सहित अन्य राज्यों और देशों में होता था, जिससे कीमतें बनी रहती थीं, लेकिन अब निर्यात रुकने से मंडी में भाव गिर गए हैं। सरकार की नीतियों का सीधा खामियाजा किसान भुगत रहा है।
आत्महत्या तक की चेतावनी
किसानों ने बेहद पीड़ादायक शब्दों में कहा कि अगर यही हाल रहा और सरकार व जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया, तो वह दिन दूर नहीं जब किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाएंगे।
अमरजीत सिंह ने यह भी कहा कि यदि बिक्री दरों में सुधार नहीं हुआ तो उनकी 10 बीघा आलू की शेष फसल भी ट्रैक्टर से जोत दी जाएगी।
सांसद से उम्मीद
स्थानीय किसानों ने उम्मीद जताई कि यदि क्षेत्र के माननीय सांसद मुकेश राजपूत सरकार से बात कर आलू के दामों में वृद्धि करवाते हैं, तो किसान राहत की सांस लेंगे। अन्यथा मजबूरी में वे अपनी फसलों को नष्ट करने के लिए बाध्य होंगे।
यह सिर्फ एक खेत की कहानी नहीं है,यह उस किसान की चीख है—
जो अन्न उगाता है,
लेकिन खुद भूखे भविष्य से डरता है।





