*आज़मगढ़ में पोखरी घोटाला उजागर!

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डीएम रविन्द्र कुमार का बड़ा एक्शन — चार अफसरों ने खाया जनता का पैसा, लाखों रुपये डकारे, FIR होगी दर्ज*

जिले में भ्रष्टाचार की एक बड़ी कहानी सामने आई है। मनरेगा योजना के तहत पोखरी खुदाई के नाम पर लाखों रुपये निकाल लिए गए, लेकिन पोखरी ज़मीन पर कहीं नजर नहीं आई। शिकायत पर हुई जांच में जबरदस्त गड़बड़ी पकड़ी गई और अब जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने चार तत्कालीन अफसरों-कर्मचारियों पर कार्रवाई के आदेश जारी कर प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा ,दिया
ग्राम पंचायत कुंजी, जहानागंज निवासी रामनवल पुत्र हरीराम ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि गांव में पोखरी निर्माण का पैसा तो खर्च दिखाया गया है, लेकिन वास्तव में कोई पोखरी बनी ही नहीं।

डीएम ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जांच भूमि संरक्षण अधिकारी और पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता को सौंपी। जांच टीम ने मौके का स्थलीय निरीक्षण किया और पाया कि
एमबी (माप पुस्तिका) में चार किस्तों में भुगतान दर्ज है।
कुल ₹3,78,713 का भुगतान सरकारी खाते से कर दिया गया।
लेकिन जमीन पर पोखरी का कोई अता-पता नहीं मिला।

अफसरों ने बांट लिए लाखों रुपये

जांच रिपोर्ट में साफ खुलासा हुआ कि पोखरी निर्माण का पैसा अफसरों और कर्मचारियों की जेब में चला गया।
विभागवार गड़बड़ी इस प्रकार सामने आई

जनार्दन सिंह (तत्कालीन सहायक विकास अधिकारी पंचायत, सेवानिवृत्त) — ₹75,777

राजेश कुमार (सहायक विकास अधिकारी, आईएसबी) — ₹49,245

मनोज कुमार सिंह (ग्राम पंचायत अधिकारी) — ₹1,25,022

प्रमोद कुमार सिंह (तत्कालीन तकनीकी सहायक) — ₹1,25,022

यानि सरकार का पैसा चार हिस्सों में बांटकर हड़प लिया गया।
जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने जिला विकास अधिकारी, उपायुक्त श्रम रोजगार (मनरेगा) और जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया कि दोषियों के खिलाफ नियमित विभागीय कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई जाए।

डीएम ने साफ कहा—

“जनता की गाढ़ी कमाई से जमा सरकारी धन का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं होगा। जिम्मेदारों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।

इस घोटाले के सामने आने के बाद आज़मगढ़ जिले के प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है। सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे मामलों में अगर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होती है तो जनता का भरोसा सरकार और प्रशासन पर और मजबूत होगा। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को देखते हुए यह कार्रवाई सख्त संदेश मानी जा रही है।

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