– पुतला दहन से लेकर तकनीकी छेड़छाड़ तक—विधायक के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र, ऑडियो दो दिन बाद वायरल होने पर सवालों की लंबी कतार
फर्रुखाबाद: सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी (Sadar MLA Major Sunil Dutt Dwivedi) को बदनाम करने के लिए राजनीतिक विरोधियों और अराजक तत्वों द्वारा रची गई हाई-टेक साजिश अब सामने आने लगी है। पहले पुतला दहन, फिर मोहम्मदाबाद में पुतला फूंकने की कोशिश और अंततः दो दिन बाद तकनीकी छेड़छाड़ से तैयार किया गया ‘कथित ऑडियो’ वायरल किया गया। घटनाक्रम की कड़ियाँ साफ संकेत दे रही हैं कि यह एक सोची-समझी षड्यंत्रकारी पटकथा थी, जिसका उद्देश्य था— विधायक की साख पर हमला करना।
सूत्रों के अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल किया गया ऑडियो न तो वास्तविक समय में रिकॉर्ड किया गया प्रतीत होता है और न ही तकनीकी रूप से उसके मेटाडेटा में समय-संरेखण मेल खा रहा है। ऑडियो इंजीनियरिंग विशेषज्ञों की प्राथमिक राय बताती है कि आवाज के बीच में डिजिटल कट्स, फ़्रीक्वेंसी डिफरेंसेज़ और आर्टिफिशियल ओवरले स्पष्ट दिख रहे हैं, जो एडिटिंग की ओर संकेत करते हैं। सबसे बड़ा सवाल यही—अगर ‘मुद्दा’ इतना महत्वपूर्ण था तो ऑडियो उसी दिन क्यों नहीं जारी किया गया? दो दिन बाद ही क्यों? यह देरी खुद-ब-खुद साजिश की परतें खोलती है।
जानकारी के अनुसार, सदर विधायक के खिलाफ पुतला दहन का वीडियो सबसे पहले सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। यह वीडियो उन्हीं लोगों द्वारा वायरल किया गया जिनके पारिवारिक संबंध सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह से जुड़े हैं—वही विजय सिंह जिन्हें सदर विधायक की कड़ी, तथ्यात्मक और बेबाक पैरवी के कारण आजीवन कारावास तक की सजा हुई थी।
विधायक के करीबियों का आरोप है कि बदले की इसी भावना के चलते पुतला दहन का वीडियो तत्काल वायरल किया गया ताकि माहौल बनाया जा सके, और फिर उसी माहौल में तकनीकी छेड़छाड़ वाला ऑडियो छोड़ा जाए। मामला सिर्फ यहीं नहीं रुका। अगले ही दिन मोहम्मदाबाद में कुछ युवकों ने एजेंडे के तहत पुतला फूंकने की कोशिश की। यही वह समय था जब प्रशासन के रडार पर कई अराजक तत्व आए, जिन पर पहले से ही कार्रवाई चल रही है।
सूत्र बताते हैं कि इन्हीं अराजक तत्वों ने प्रशासन से बचने के लिए लेगीसलेटर पर दबाव बनाया था कि वे उनके पक्ष में पैरवी करें—जिसे सदर विधायक ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत साफ इनकार कर दिया। पूरे घटनाक्रम की जड़ धन उगाही और अवैध संरक्षण देने के खेल से जुड़ी है। विधायक द्वारा इनकार करने के बाद यह पूरा गिरोह सक्रिय हुआ। पहले पुतला फूंका गया फिर वीडियो वायरल उसके बाद मोहम्मदाबाद में कोशिश और अंत में अंतिम चरण—मोबाइल कॉल में छेड़छाड़ कर एडिटेड ऑडियो लेकर आना यह पूरी योजना किसी राजनीतिक षड्यंत्र से कम नहीं दिखती। द्विवेदी के करीबी सूत्रों का कहना है कि—
> “विधायक साफ-सुथरी राजनीति का चेहरा हैं। वे अपराधियों के खिलाफ हमेशा कड़ा रुख रखते आए हैं। इसी कारण अराजक तत्व उन्हें निशाना बना रहे हैं। लेकिन जनता सब जानती है—जो वीडियो और ऑडियो परोस रहे हैं, उनकी नीयत और इतिहास दोनों सवालों में हैं।”
विधायक की छवि पहले भी कई बार हमलों का सामना कर चुकी है, लेकिन हर बार तथ्यों ने उन्हें मजबूत किया है। स्थानीय लोग व राजनीतिक विश्लेषक मांग कर रहे हैं कि वायरल ऑडियो की फोरेंसिक वॉइस एनालिसिस कराई जाए। इससे एडिटिंग, टैंपरिंग, डबिंग व कटिंग की वास्तविकता सामने आ जाएगी और साजिश का पूरा जाल खुल जाएगा।
विधायक के समर्थक और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तकनीकी साजिश साबित हुई, तो यह आईटी एक्ट और आपराधिक षड्यंत्र का बड़ा मामला बनेगा। इसमें ऑडियो वायरल करने वाले, वीडियो फैलाने वाले और पुतला दहन की योजना बनाने वाले सभी आरोपी हो सकते हैं।


