- विद्या भारती के प्रशिक्षुओं को दी गई नई शिक्षा नीति की गहराई से जानकारी
फर्रुखाबाद। विद्या भारती कानपुर प्रांत द्वारा संचालित दस दिवसीय नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के अंतर्गत शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र का उद्देश्य शिक्षकों को नई शिक्षा नीति की मूल अवधारणाओं, उद्देश्यों और क्रियान्वयन प्रक्रिया से अवगत कराना रहा।
सत्र में कमलेश (सह क्षेत्र प्रशिक्षण प्रमुख, विद्या भारती पूर्वी क्षेत्र), रजनीश (प्रांत संगठन मंत्री, विद्या भारती कानपुर प्रांत), अयोध्या प्रसाद (प्रदेश निरीक्षक), और श्रीमती रजनी (व्यवस्थापिका, सरस्वती विद्या मंदिर, सेनापति फर्रुखाबाद) सहित कई गणमान्य शिक्षाविद उपस्थित रहे।
कमलेश जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की व्यापक व्याख्या करते हुए बताया कि यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जो देश के समग्र विकास की दृष्टि से मील का पत्थर है। उन्होंने नीति के मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझाया, जिनमें शिक्षा की गुणवत्ता, सतत मूल्यांकन, जीवन कौशल, अवधारणात्मक शिक्षा, तकनीकी समावेश, भारतीय परंपराओं से जुड़ाव और शोध पर विशेष बल दिया गया है।
उन्होंने बताया कि नई नीति के अंतर्गत 5+3+3+4 का शैक्षणिक ढांचा लागू किया गया है, साथ ही छठी कक्षा से व्यवसायिक शिक्षा को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जिससे छात्रों को प्रारंभिक अवस्था से ही व्यावसायिक दक्षता प्राप्त हो सके।
द्वितीय सत्र में कमलेश जी ने कक्षा-कक्ष की प्रभावी व्यवस्था पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि शिक्षण को आनंदमयी, प्रयोगात्मक और संवादात्मक बनाने के लिए शिक्षकों को खोज आधारित अधिगम, शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा, समस्या समाधान, समूह कार्य, सेमिनार, प्रश्नोत्तरी, चित्रकला, एकल अभिनय, पत्रकार सम्मेलन, कला-संगीत, भारतीय ज्ञान प्रणाली एवं मूल्य आधारित शिक्षा जैसी नवाचार विधियों को अपनाना चाहिए।
यह सत्र नवचयनित आचार्यों के लिए अत्यंत प्रेरणादायी एवं ज्ञानवर्धक रहा। प्रशिक्षुओं ने इसे एक उत्कृष्ट मार्गदर्शन के रूप में अनुभव किया, जिससे उन्हें न केवल नई शिक्षा नीति को समझने में मदद मिली, बल्कि कक्षा-कक्ष में नवाचार के साथ शिक्षण की प्रेरणा भी मिली।
कार्यक्रम में अजय द्विवेदी (संभाग निरीक्षक, कानपुर), शिवकरन जी (संभाग निरीक्षक, बांदा), शिवसिंह (प्रांत सेवा प्रमुख), प्रधानाचार्य धर्मवीर सिंह, अनिल शुक्ला, ओमप्रकाश शुक्ला, आशीष दीक्षित समेत अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी एवं आचार्यगण उपस्थित रहे।