शरद कटियार
देश की राजनीति (politics) अब उस मोड़ पर आ पहुंची है, जहां बहस विचारों की नहीं, बल्कि व्यक्ति की छवि बिगाड़ने की हो गई है। ताजा मामला कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस वायरल तस्वीर का है, जिसमें एक सेनेटरी पैड (sanitary pads) पर उनका चेहरा एआई की मदद से एडिट किया गया है। यह फोटो सोशल मीडिया (social media) पर वायरल होते ही चर्चा का विषय बन गई, लेकिन उससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस फोटो ने हमारे समाज की सोच और राजनीतिक गिरावट को उजागर कर दिया है।
यह तस्वीर न केवल एक राजनीतिक नेता की छवि धूमिल करने का प्रयास है, बल्कि महिलाओं के मासिक धर्म जैसे संवेदनशील और गंभीर विषय का भी घोर अपमान है। एक ऐसा विषय, जिस पर समाज में खुलकर बात होनी चाहिए, जिस पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है—उसे मज़ाक का हिस्सा बना देना बेहद निंदनीय और खतरनाक संकेत है।
महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस हरकत की तीखी आलोचना की है। उनका कहना वाजिब है कि राजनीतिक कटाक्ष की भी एक मर्यादा होनी चाहिए। क्या हम इस स्तर तक गिर चुके हैं कि महिलाओं की गरिमा को दांव पर लगाकर राजनीतिक मज़ा लिया जाए?
यह केवल राहुल गांधी पर हमला नहीं है, यह महिला गरिमा और सामाजिक चेतना पर किया गया एक डिजिटल हमला है। AI जैसे शक्तिशाली उपकरण का इस्तेमाल जब इस तरह के छद्म प्रचार और ट्रोलिंग के लिए होता है, तो यह स्पष्ट कर देता है कि तकनीक हमारे हाथ में एक दोधारी तलवार है—जो जोड़ भी सकती है और तोड़ भी।
जरूरत है डिजिटल अनुशासन, मीडिया साक्षरता और राजनीतिक संस्कृति में शालीनता लाने की। राजनीतिक विरोध अपनी जगह सही है, लेकिन उसका तरीका समाज को शर्मिंदा करने वाला नहीं होना चाहिए। यह घटना हमें चेतावनी देती है कि अगर हमने अभी सीमाएं तय नहीं कीं, तो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म नफरत और अपमान के ऐसे अड्डे बन जाएंगे, जिनसे समाज को सिर्फ टूटने और बिखरने के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा। यह संपादकीय किसी नेता विशेष के समर्थन में नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और महिला सम्मान के पक्ष में है। जब तक हम इस तरह की गंदी राजनीति का विरोध नहीं करेंगे, तब तक लोकतंत्र की गरिमा सुरक्षित नहीं रह सकती।
शरद कटियार
ग्रुप एडिटर
यूथ इंडिया न्यूज ग्रुप