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Sunday, November 9, 2025

माटीकला मेलों में बना रिकॉर्ड — ₹4.20 करोड़ की बिक्री से कारीगरों की चमकी किस्मत

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– योगी सरकार की पहल रंग लाई, लखनऊ से मुरादाबाद तक माटीकला उत्पादों की बढ़ी मांग — पारंपरिक शिल्पों को मिला नया बाजार

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) द्वारा पारंपरिक शिल्पों और कारीगरों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से आयोजित माटीकला मेलों (Matikala fairs) ने इस बार बिक्री का नया रिकॉर्ड कायम किया है। उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा वर्ष 2025-26 में आयोजित 10 दिवसीय, 7 दिवसीय और 3 दिवसीय मेलों में कुल ₹4,20,46,322 की बिक्री दर्ज की गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग ₹91 लाख अधिक है। कारीगरों को सीधा उपभोक्ताओं से जोड़ने की इस पहल ने न केवल उनकी आय में वृद्धि की है, बल्कि राज्य की पारंपरिक माटीकला को भी नई पहचान दिलाई है।

राज्यभर में आयोजित इन मेलों में उपभोक्ताओं का अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। लखनऊ खादी भवन में 10 से 19 अक्टूबर तक आयोजित 10 दिवसीय महोत्सव में 56 दुकानों द्वारा ₹1.22 करोड़ की बिक्री दर्ज की गई। गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात और मुरादाबाद में 13 से 19 अक्टूबर तक चले 7 दिवसीय क्षेत्रीय मेलों में 126 दुकानों ने ₹78.84 लाख का विक्रय किया।

वहीं 70 जनपदों में आयोजित 3 दिवसीय लघु माटीकला मेलों में 509 दुकानों ने ₹2.19 करोड़ की बिक्री कर नया रिकॉर्ड कायम किया। पिछले वर्ष की तुलना में इस दुकानों की संख्या कम रही, बावजूद इसके बिक्री में लगभग 27.7% की वृद्धि दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि उत्पादों की गुणवत्ता, प्रदर्शनी की व्यवस्था और विपणन सहयोग अधिक प्रभावशाली रहा।

माटीकला बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, यह सफलता कारीगरों की मेहनत और उपभोक्ताओं के बढ़ते विश्वास का परिणाम है। योगी सरकार ने पारंपरिक माटीकला उद्योग को सशक्त बनाने के लिए कई अभिनव कदम उठाए हैं। उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड का गठन कर कारीगरों के प्रशिक्षण, विपणन और ब्रांडिंग की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। गांवों के तालाबों से मिट्टी निकालने की निःशुल्क व्यवस्था लागू कर उत्पादन लागत में कमी लाई गई है।

कारीगरों की सामाजिक और आर्थिक सुदृढ़ता के लिए तकनीकी विकास और बाजार विस्तार को प्राथमिकता दी जा रही है। इन कदमों से प्रदेश के हजारों प्रजापति परिवारों को आत्मनिर्भरता का नया आधार मिला है। माटीकला बोर्ड के महाप्रबंधक ने बताया कि मेलों में आए खरीदारों ने स्थानीय शिल्पों को खुले मन से अपनाया, जिससे कारीगरों की आय में वृद्धि हुई है।

उनका कहना है कि सरकार के सहयोग से पारंपरिक उत्पाद अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में माटीकला मेलों का दायरा और बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक जिलों के कारीगरों को भी यह अवसर मिल सके।

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