बहराइच/नेपालगंज: Nepal की एक जेल (jail) से फरार हुए कई कैदियों में एक भारतीय कैदी भी शामिल था। यह कैदी भागते-भागते रुपैडिहा बॉर्डर तक पहुंच गया। वहां जब सीमा सुरक्षा बल (SSB) के जवानों ने उससे पूछताछ की तो उसने ईमानदारी से अपनी पहचान उजागर कर दी।
सूत्रों के मुताबिक, जवानों ने जब उससे पूछा कि कहां से आया है, तो कैदी ने बिना झिझक बताया कि वह नेपाल की जेल से भागकर यहां पहुंचा है और असल में भारत का निवासी है। ईमानदारी की यह स्वीकारोक्ति उसके लिए भारी पड़ गई। एसएसबी ने उसे तत्काल हिरासत में लेकर अगले दिन नेपाली अधिकारियों को सौंप दिया।
जानकारों का कहना है कि अगर कैदी थोड़ा चतुराई दिखाता और यह कहता कि वह नेपाल की तरफ था, हिंसा के दौरान किसी तरह वहां से निकल आया और उसका सामान, पहचान पत्र सबकुछ वहीं छूट गया, तो संभव था कि उसे भारत में छोड़ दिया जाता। लेकिन अपनी सच्चाई बताने के कारण वह फिर से जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।
घटना ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि ईमानदारी हमेशा किस हद तक लाभकारी होती है। कैदी की साफगोई ने उसे एक बार फिर कैद में पहुंचा दिया, जबकि झूठ बोलने पर शायद वह आज़ाद रह जाता।