फतेहगढ़ के भोलेपुर में दहेज लोभियों का तांडव, बेटी प्राची की शादी अधर में
फर्रुखाबाद: बेटी की शादी हर माँ के लिए सबसे बड़ा सपना होती है, लेकिन जब माँ विधवा (widow) हो और घर में एक ही सहारा हो—अपनी बिटिया—तो यह सपना उम्मीद और संघर्ष दोनों का रूप ले लेता है। फतेहगढ़ कोतवाली (Fatehgarh Kotwali) क्षेत्र के मोहल्ला भोलेपुर की रहने वाली श्रीमती सुमन कटियार की यही स्थिति है। अपनी बेटी प्राची कटियार (पुत्री स्वर्गीय अनिल कटियार) की शादी के लिए उन्होंने रिश्तेदारों से उधार लेकर, आँसू पीकर, हिम्मत जुटाकर तैयारियाँ की थीं।
लेकिन दहेज लोलुपता और लालच ने इस माँ की दुनिया ही हिला दी। प्राची का विवाह कोतवाली अरौल, कानपुर नगर के जनेरी गाँव निवासी वीरेंद्र कटियार के पुत्र, सॉफ्टवेयर इंजीनियर रिशु कटियार से तय हुआ था। परिवार ने भले ही खुद को सुसंस्कृत बताया, पर अंदर से दहेज की भूख धीरे-धीरे सामने आती गई।
विवाह की तैयारी के नाम पर वीरेंद्र कटियार, प्राची की विधवा माँ से पहले ₹5 लाख ले चुके थे। और फिर 17 नवंबर को अरौल के ओम पार्टी लॉन में रुकाई कार्यक्रम के दौरान दोबारा ₹5 लाख और, साथ ही,
एक सोने की चैन
एक सोने की अंगूठी
51 किलो मिठाई
और फल-सामान
भी मांग लिए गए।
बेबस और अकेली सुमन ने रिश्तेदारों से उधार लेकर यह व्यवस्था भी कर दी। कार्यक्रम का समय दोपहर 12 बजे तय था,पर बुजुर्ग, अकेली और संसाधनों के अभाव में जूझती सुमन कटियार 3:30 बजे पहुँच पाईं। बस यही उनकी “गलती” बन गई। जैसे ही वे पहुँचीं, लड़के वाले बिफर पड़े।वीरेंद्र कटियार के दूसरे बेटे जीतू कटियार ने अचानक हंगामा खड़ा कर दिया।
उसी समय लड़के के पिता वीरेंद्र ने अपने लखनऊ में तैनात दरोगा बहनोई की धौंस दिखाते हुए रुकवाई को बीच में ही बिगाड़ दिया। अब नई माँग — “10 लाख रुपये और दो, तभी शादी होगी” 22 नवंबर को शादी होनी तय है। गेस्ट हाउस बुक है, हलवाई लग चुके हैं, कार्ड बँट चुके हैं… लेकिन अब लड़के वाले नई शर्त रख रहे हैं। एक विधवा माँ के लिए यह माँग भगवान के जैसे वज्रपात की तरह है।सुमन कटियार इस सदमे से बाहर ही नहीं आ पा रहीं, रो-रोकर उनकी आँखें सूज गई हैं, आवाज बैठ गई है, और हृदय मानो भारी पत्थर से दब गया हो।
“मेरे पति नहीं, कोई बेटा नहीं… मैं कहाँ से दूँ इतने पैसे?” – सुमन की टूटती आवाज अपना घर बार संभालते, बचे-खुचे रिश्तेदारों से मदद लेकर, किसी तरह बेटी की शादी तय की थी। पर दहेज लोभियों ने उनकी असहायता को अपनी ताकत समझकर उन पर अत्याचार बढ़ा दिया। सुमन कटियार का कहना है— “मैंने जितना कर सकती थी सब किया। 10 लाख और कहाँ से दूँ? मेरी बेटी की खुशी ही मेरी दुनिया है… अब क्या होगा?” बेचारी माँ अब इस पूरे मामले को पुलिस अधीक्षक श्रीमती आरती सिंह के समक्ष रखने की तैयारी कर रही है। उन्हें उम्मीद है कि शायद प्रशासन उनकी बेटी की इज्जत, सम्मान और भविष्य बचा सके।


