मैनपुरी: कहते हैं न्याय में देरी अन्याय के बराबर होती है, लेकिन मैनपुरी में एक युवक को सिर्फ एक अक्षर की गलती (mistake of one letter) के चलते न सिर्फ 17 साल तक खुद को निर्दोष साबित करने की लड़ाई लड़नी पड़ी, बल्कि 22 दिन की जेल भी काटनी पड़ी। मामला शहर कोतवाली क्षेत्र का है, जहां राजवीर नाम के एक व्यक्ति को राजबीर समझकर जेल (jail) भेज दिया गया।
पूरा मामला साल 2007 से जुड़ा है, जब शहर कोतवाली में दर्ज एक मामले में विवेचक इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ने आरोपी का नाम राजबीर की जगह गलती से राजवीर लिख दिया। इस एक अक्षर की गलती ने राजवीर की ज़िंदगी को अंधेरे में धकेल दिया। राजवीर ने लगातार 17 वर्षों तक खुद को निर्दोष साबित करने के लिए अदालती लड़ाई लड़ी। अंततः कोर्ट ने उसकी बात मानी और उसे बाइज्जत बरी कर दिया। कोर्ट ने इस गंभीर चूक को देखते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त टिप्पणी करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए।
कोर्ट ने मैनपुरी एसपी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल प्रभाव से शहर कोतवाली में तैनात रहे इंस्पेक्टर ओमप्रकाश समेत अन्य लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें। इस मामले की विवेचना दन्नाहार थाना पुलिस को दी गई है। यह घटना पुलिसिया कार्यप्रणाली की एक बड़ी लापरवाही का उदाहरण बनकर सामने आई है, जो बताती है कि एक छोटी सी गलती किस तरह किसी की ज़िंदगी बर्बाद कर सकती है। राजवीर के 17 साल संघर्ष में बीते, जबकि दोषी अब तक कार्रवाई से बचे रहे।