फर्रूखाबाद: कोतवाली मोहम्मदाबाद (Kotwali Mohammadabad) में 22मार्च 2015 में दर्ज दो मुकदमों को लेकर पुलिस ने ही बड़ा खेल किया था फर्जी मुकदमा (fake FIR) तो था ही जीडी पर भी फर्जी तौर पर गोलमाल कर पूरी कानून व्यवस्था को मात दे दी इसके पीछे माफिया गैंग अनुपम दुबे से लेकर अवधेश मिश्रा संजीव परिया, चंन्नू यादव जैसे शातिरों का दिमाग था। दैनिक यूथ इंडिया के संपादक शरद कटियार ने पुलिस अधीक्षक फतेहगढ़ को दिए प्रार्थना–पत्र में आरोप लगाया है कि उनके विरुद्ध दर्ज—अपराध संख्या 63/2015 (धारा 307 IPC)को पेन से अपराध संख्या 106/2015 दर्ज की गई, जबकि इसी अपराध संख्या
106/2015 पर दिनांक 25अप्रैल 2015 को कोतवाली मोहम्मदाबाद पुलिस ने अन्य मुकदमा धारा 307, 376,506(जानलेवा हमला, बलात्कार, और धमकी) का रामपाल सिंह निवासी सिकंदर पुर मोहम्मदाबाद की तहरीर पर दर्ज किया था। पुलिस अधिकारियों ने गंभीर प्रक्रियागत अनियमितताएँ, रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही की थी।
शरद कटियार द्वारा उपलब्ध कराई गई एफआईआर प्रति के अनुसार—उनपर दर्ज झूठी एफआईआर पर एसएचओ के बजाय कांस्टेबल प्रमोद कुमार के हस्ताक्षर हैं, जबकि सीआरपीसी की धारा 154(1) के मुताबिक एफआईआर केवल ऑफिसर इंचार्ज (एसएचओ/एसआई/इंस्पेक्टर) ही दर्ज कर सकता है। कांस्टेबल द्वारा एफआईआर पंजीकरण कानूनी रूप से अवैध है और यह आईपीसी की धारा 166A, 217, 218, 466, 468, 471 के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
उनके द्वारा प्रस्तुत एफआईआर प्रति में क्राइम नंबर बाद में पेन से लिखा हुआ,धारा 504 और 506 भी बाद में हस्तलिखित,जीडी एंट्री व क्राइम रजिस्टर में भी अनियमितता की आशंका जताई गई है।इन तथ्यों से एफआईआर के मूल स्वरूप में बदलाव और रिकॉर्ड फर्जीवाड़ा की पुष्टि होती है।उन्होंने कहा कि— जब एफआईआर ही अवैध कांस्टेबल से दर्ज हो,और क्राइम नंबर बाद में पेन से जोड़ा गया हो, तो पूरा मामला प्रोसीजरली डिफेक्टिव माना जाता है और विवेचना भी अवैध हो जाती है।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है की एक ही मुकदमे में एक ही विवेचक द्वारा सितंबर 2015 और फरवरी 2016 में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उनके घर की दो बार कुर्की की गई, आज तक चिकित्सा रिपोर्ट विधि विज्ञान प्रयोगशाला से नहीं आई। उन्होंने बताया कि पूरा सजिशन मामला उनके विरुद्ध शातिर, कुख्यात, अपराधी वकील अवधेश कुमार मिश्रा द्वारा रचा गया था।
हाल ही में उसने उच्च न्यायालय में यह स्वीकार भी किया कि उस मुकदमे में बह उनके खिलाफ वकील था।शरद कटियार ने पूरे मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में डालते हुए कहा कि यदि सुनवाई नहीं हुई तो वह उच्च न्यायालय इलाहाबाद की शरण लेंगे और झूठी एफआईआर को निरस्त करने के लिए प्रार्थना करेंगे।


