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Wednesday, June 18, 2025

महाकुंभ में जरूर जाएं, रविकिशन की तरह मोह-माया में न पड़ें: सीएम योगी

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गोरखपुर महोत्सव-2025 के समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने अपने संबोधन में महाकुंभ 2025 में भाग लेने का आह्वान किया। उन्होंने अपने चिर-परिचित विनोदी अंदाज में गोरखपुर के सांसद और अभिनेता रविकिशन की चुटकी लेते हुए कहा कि रविकिशन जी की तरह मोह-माया में न पड़ें और प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान का सौभाग्य जरूर प्राप्त करें। सीएम की इस बात पर वहां मौजूद दर्शक और खुद रविकिशन भी हंसने से नहीं रोक पाए। योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय आयोजन बताया।

सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ 2025 का शुभ मुहूर्त 144 सालों के बाद आया है, जो इसे विशेष बनाता है। इस आयोजन में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जो भारत की आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक भव्यता को प्रदर्शित करेगा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैश्विक स्तर पर यूपी और भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा। उन्होंने जनता से महाकुंभ में भाग लेकर इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने रविकिशन के भूमि निवेश पर मजाक करते हुए कहा कि वे जब भी मंच पर आते हैं, अपनी जमीनों के महंगी होने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि रविकिशन ने 20 लाख में अपनी जमीन खरीदी और अब इसे 20 करोड़ की बताकर कीमत बढ़ाने में लगे हैं। उन्होंने मजाकिया अंदाज में जनता को चेतावनी दी कि यदि कभी उनकी जमीन खरीदने की जरूरत पड़े, तो 20 लाख से ज्यादा न दीजिएगा। उनके इस तंज पर पूरा सभागार ठहाकों से गूंज उठा।

सीएम योगी ने अपने संबोधन में महाकुंभ के लिए किए गए विशेष निर्माण कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बार प्रयागराज में अक्षय वट कॉरिडोर, मां सरस्वती कॉरिडोर, बड़े हनुमान मंदिर, महर्षि व्यास कॉरिडोर और भगवान राम-निषादराज कॉरिडोर जैसे कई विशेष स्थल बनाए गए हैं। यह सभी निर्माण कार्य महाकुंभ को भव्य और यादगार बनाने के लिए किए गए हैं। सीएम ने इसे दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक बताते हुए कहा कि महाकुंभ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का परिचायक है।

समारोह में सीएम योगी ने गोरखपुर क्षेत्र के पांच प्रतिष्ठित व्यक्तियों को गोरखपुर रत्न से सम्मानित भी किया। उन्होंने गोरखपुर महोत्सव को क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया और इसे हर साल और भव्य रूप में आयोजित करने का वादा किया। मुख्यमंत्री का यह संबोधन जहां महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करने वाला था, वहीं उनकी विनोदपूर्ण शैली ने समारोह को एक खुशनुमा माहौल में बदल दिया।

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