फर्रुखाबाद (प्रशांत कटियार )| नाला बघार से छिबरामऊ तक का 28 किलोमीटर लंबा मार्ग इन दिनों दुर्घटनाओं का हॉटस्पॉट बन गया है। यातायात सुरक्षा माह के तहत जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन इस मार्ग पर रोज़ाना होने वाली दुर्घटनाओं ने सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों और राहगीरों का कहना है कि इस मार्ग पर बुनियादी सुरक्षा उपायों का अभाव है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
आंकड़ों में दुर्घटनाओं की हकीकत
पिछले एक महीने में दुर्घटनाएं: 18
दुर्घटनाओं में मृत्यु: 8
घायल लोग: 34
प्रदर्शन: 5 बार शवों को सड़क पर रखकर जाम लगाया गया|
यह आंकड़े बताते हैं कि यह मार्ग जिले का सबसे खतरनाक सड़क मार्ग बनता जा रहा है।
मार्ग पर ब्रेकर्स और चेतावनी बोर्ड नहीं हैं। कोहरे में रात्रि के समय वाहन चालकों को मार्गदर्शन देने वाले संकेतकों का अभाव है।भारी डंपरों का अनियंत्रित आवागमन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बनता जा रहा है।
एडवोकेट अनूप कटियार:
“मैं रोज़ इस मार्ग से तहसील जाता हूँ। यहाँ की स्थिति बेहद चिंताजनक है। ब्रेकर और चेतावनी बोर्ड की कमी के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रशासन को जल्द ही ठोस कदम उठाने चाहिए।”
अंभुज राठौर, स्थानीय निवासी:
“इस मार्ग पर डंपरों का आतंक है। एक बार मैंने देखा कि एक डंपर ने बाइक सवार को टक्कर मार दी। अगर यहाँ रंबल स्ट्रिप्स और संकेत बोर्ड होते, तो यह घटना टल सकती थी।”
मनमोहन कटियार, मैनेजर, कोऑपरेटिव बैंक जहानगंज:
“दुर्घटनाओं के बाद लोग शवों को सड़क पर रखकर प्रदर्शन करते हैं। यह स्थिति दुखद और चिंताजनक है। प्रशासन को तत्काल ब्रेकर और चेतावनी बोर्ड लगाने चाहिए।”
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह मार्ग और खतरनाक हो सकता है। मुख्य चौराहों और तिराहों पर लगाएं,रात्रि में रोशनी और परावर्तक संकेतकों की व्यवस्था।
नाला बघार से छिबरामऊ मार्ग पर बढ़ती दुर्घटनाएं सड़क सुरक्षा के प्रति प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं। यह स्थिति न केवल नागरिकों की जान के लिए खतरा है, बल्कि उनके विश्वास को भी ठेस पहुंचा रही है। प्रशासन को जल्द ही ठोस कदम उठाकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए।