
प्रशांत कटियार
भारतीय जनता पार्टी द्वारा देशभर में आयोजित अटल स्मृति सम्मेलन केवल एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह उस राजनीतिक परंपरा का पुनर्स्मरण है, जिसने भारतीय राजनीति को शालीनता, वैचारिक स्पष्टता और राष्ट्रहित की दिशा दी। यह सम्मेलन भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियों को नमन करने के साथ-साथ उनकी विचारधारा को वर्तमान और भविष्य से जोड़ने का सशक्त प्रयास है।
श्रद्धांजलि से आगे, विचार यात्रा
अटल स्मृति सम्मेलन का उद्देश्य केवल अतीत को याद करना नहीं, बल्कि अटल जी के विचारों को आज की राजनीति और आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना है। भाजपा इसे एक विचार यात्रा के रूप में देखती है—जहां राजनीति सत्ता की होड़ नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का माध्यम बनती है।
अटल जी ने राजनीति में यह सिद्ध किया कि दृढ़ निर्णय और लोकतांत्रिक मर्यादा एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।
भाजपा की आत्मा में अटल
भारतीय जनता पार्टी की वैचारिक रीढ़ में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान केंद्रीय है। वे ऐसे नेता थे जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी सरकार को राष्ट्रहित में सहयोग दिया और सत्ता में रहते हुए भी विरोधियों को सम्मान दिया।
अटल स्मृति सम्मेलन के माध्यम से भाजपा यह संदेश देती है कि उसकी राजनीति टकराव नहीं, संवाद और समाधान की राजनीति है।
कार्यकर्ताओं को जोड़ने का मंच
देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित ये सम्मेलन पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। मंच से अटल जी के जीवन प्रसंग, उनकी कविताएं, उनके निर्णय और उनके संघर्ष साझा किए जाते हैं।
यह कार्यक्रम नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को यह समझाने का प्रयास करता है कि—
सत्ता स्थायी नहीं होती,
लेकिन विचार और चरित्र स्थायी होते हैं।
सम्मेलनों में बार-बार यह रेखांकित किया जाता है कि अटल जी केवल भाषणों के नेता नहीं थे। पोखरण परमाणु परीक्षण जैसे साहसिक फैसले हों या कश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्रीय एकता का संकल्प—हर निर्णय में राष्ट्र सर्वोपरि रहा।
इसके साथ ही उनकी कविताएं और मानवीय संवेदना यह बताती हैं कि शक्ति और करुणा साथ-साथ चल सकती हैं।
आज जब राजनीति में कटुता, आरोप-प्रत्यारोप और ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, ऐसे समय में अटल स्मृति सम्मेलन अटल जी की उस राजनीति की याद दिलाता है— जहां
“विरोध भी शिष्ट हो और असहमति भी मर्यादित।”
भाजपा इन सम्मेलनों के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश देती है कि विकास, राष्ट्रवाद और सुशासन के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्कार भी उतने ही आवश्यक हैं।
भविष्य की राजनीति का खाका
अटल स्मृति सम्मेलन केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य का खाका है। यह भाजपा की उस सोच को मजबूत करता है जिसमें—
राष्ट्र प्रथम,
संगठन सर्वोपरि,
और जनता सर्वोच्च होती है।
अटल स्मृति सम्मेलन भारतीय जनता पार्टी के लिए एक वैचारिक पर्व की तरह है। यह कार्यक्रम बताता है कि भाजपा केवल चुनावी राजनीति की पार्टी नहीं, बल्कि एक विचार आंदोलन है।
अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियों के माध्यम से भाजपा यह संकल्प दोहराती है कि राजनीति में शालीनता, राष्ट्रभक्ति और मानवता कभी समझौते का विषय नहीं होंगी।
यही अटल की विरासत है—और यही भाजपा का मार्ग।






