लखनऊ| नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने उत्तर प्रदेश की राजनीति और सामाजिक संरचना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदेश में कम्युनिस्ट दल प्रभावी इसलिए नहीं हो पाए, क्योंकि यहां के किसानों का अपनी जमीन से गहरा भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि किसानों के हित में लिए गए उनके एक अहम कदम ने लाखों लोगों को जमीन का मालिक बना दिया, जिसने ग्रामीण समाज की सोच और दिशा ही बदल दी।
माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने एक बार उनसे बातचीत के दौरान बताया था कि उनके एक फैसले से बड़ी संख्या में लोगों को कुछ न कुछ जमीन मिल गई। जमीन भले ही कम हो या ज्यादा, लेकिन हर किसान को अपनी जमीन से अत्यंत लगाव होता है। यही कारण है कि किसान किसी बाहरी विचारधारा या प्रभाव में आसानी से नहीं आता। जमीन के स्वामित्व ने किसानों को आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता दी, जिससे वे अपनी पहचान और अधिकारों के प्रति सजग हुए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भूमि सुधारों और किसान हितैषी नीतियों का सीधा असर यह हुआ कि किसान वर्ग ने अपनी स्वतंत्र सोच विकसित की। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में किसान भूमिहीन रहे या जमीन पर उनका अधिकार नहीं रहा, वहां कम्युनिस्ट विचारधारा को पनपने का अवसर मिला, लेकिन यूपी में चौधरी चरण सिंह जैसे नेताओं की नीतियों ने किसानों को जमीन से जोड़ा और उन्हें सशक्त बनाया।
माता प्रसाद पांडेय ने यह भी कहा कि चौधरी चरण सिंह का किसान केंद्रित दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक है। उनके फैसलों ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि सामाजिक संतुलन भी कायम किया। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसान एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरे और किसी भी विचारधारा को आंख मूंदकर स्वीकार करने के बजाय अपने अनुभव और हित के आधार पर निर्णय लेने लगे।






