लखनऊ| किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू), लखनऊ में धर्मांतरण के प्रयास से जुड़ा मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। कुलपति के निर्देश पर प्रकरण की जांच विशाखा कमेटी को सौंप दी गई है, जिसने औपचारिक जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक चरण में पीड़ित महिला रेजिडेंट डॉक्टर और आरोपी पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर के बयान दर्ज किए गए हैं। जांच के दौरान आरोपी डॉक्टर ने खुद को कुंवारा बताया, जिस पर विशाखा कमेटी ने उससे कुंवारे होने से संबंधित ठोस सबूत प्रस्तुत करने को कहा है। इसी बीच मंगलवार को आरोपी डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।
जांच की जिम्मेदारी मिलने के बाद विशाखा कमेटी ने सबसे पहले पीड़िता और आरोपी से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन फोन के जरिए संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद दोनों को व्हाट्सएप के माध्यम से लिखित सूचना भेजी गई, जिसके बाद उनसे संपर्क स्थापित हो पाया। इस दौरान आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर ने बीमारी का हवाला देते हुए छुट्टी की मांग की, लेकिन विभागाध्यक्ष ने छुट्टी देने से साफ इन्कार कर दिया। इसके बाद दोपहर बाद पीड़िता और आरोपी दोनों विशाखा कमेटी के समक्ष पेश हुए, जहां दोनों के बयान दर्ज किए गए।
कमेटी के सामने आरोपी डॉक्टर ने स्वयं को कुंवारा बताते हुए किसी भी महिला डॉक्टर से पूर्व में शादी करने की बात से इन्कार किया। हालांकि, केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि पीड़िता की ओर से दी गई लिखित शिकायत में आरोपी की पहली डॉक्टर पत्नी का उल्लेख किया गया है। इसी कारण विशाखा कमेटी ने आरोपी से कुंवारा होने के प्रमाण मांगे हैं। कमेटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि शिकायत में जिन महिला डॉक्टर का जिक्र किया गया है, उन्हें भी जांच के लिए प्रस्तुत किया जाए। यदि ऐसा संभव नहीं होता है तो आरोपी को शपथपत्र देना होगा, जिसमें उसके कुंवारा होने और किसी भी प्रकार के वैवाहिक या निजी संबंध से इन्कार का उल्लेख होगा।
वहीं, केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश बाबू ने कहा कि विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में इस मामले को लेकर भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह पीड़िता के साथ खड़े हैं और दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के पक्षधर हैं।
मामले की पृष्ठभूमि की बात करें तो केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग में कार्यरत पश्चिम बंगाल की एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के पिता ने उत्तराखंड के खटीमा निवासी पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर पर बेटी का धर्मांतरण कराने के प्रयास का गंभीर आरोप लगाया है। यह शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय और राज्य महिला आयोग को भेजी गई है। पीड़िता के पिता का आरोप है कि आरोपी डॉक्टर ने शादी से पहले धर्म बदलने का दबाव बनाया और इन्कार करने पर बेटी को लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इसी मानसिक उत्पीड़न से परेशान होकर 17 दिसंबर को पीड़िता ने आत्महत्या का प्रयास किया। गंभीर हालत में उसे ट्रॉमा सेंटर की आईसीयू में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बाद हालत में सुधार होने पर शुक्रवार को उसे डिस्चार्ज किया गया।
फिलहाल विशाखा कमेटी की जांच जारी है और केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई नियमानुसार की जाएगी।

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