नई दिल्ली। कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नेम प्लेट (Nameplate) लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका (Nameplate) लगाने के अपने आदेश का बचाव किया है। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे।
कोर्ट में योगी सरकार का जवाब
इससे पहले यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में अपनी दलीलों के समर्थन में कावंड़ मार्ग रूट के कुछ खाने पीने की दुकानों की तस्वीरें पेश की थी। मसलन राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा के नाम से ढाबा चलाने वाले दुकानदार का नाम वसीम है। राजस्थानी खालसा ढाबे के मालिक का नाम फुरकान है। पंडित जी वैष्णो ढाबे के मालिक सनव्वर राठौड़ हैं।
सरकार का कहना है कि कावंड़ रूट पर खाने पीने को लेकर गलतफहमी पहले भी झगड़े और तनाव की वजह बनती रही है। ऐसी कोई अप्रिय स्थिति न बने, नंगे पैर पवित्र जल ले जा रहे करोड़ो कावंड़ियों की धार्मिक भावना गलती से भी आहत न हो इसलिए दुकान के बाहर नाम (Nameplate) लिखने के निर्देश जारी किए गए थे। कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में योगी सरकार ने कहा कि कानून व्यवस्था के लिए एहतियाती कदम उठाया। अनुच्छेद 71 के तहत सौहार्द कायम रखने के लिए यह फैसला लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी राज्य सरकार के आदेश पर रोक
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नामपट्टिका (Nameplate) लगाने और मोबाइल नंबर लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई और इसे सांप्रदायिकता से प्रेरित दिशा निर्देश बताया गया।
‘गलती से भी कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हो’, ‘नेमप्लेट’ वाले फैसले पर योगी सरकार का SC में जवाब
सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब राज्य सरकार ने इस मामले में हलफनामा देकर अपना पक्ष रखा है।