प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शुक्रवार को 2024 के बरेली दंगों (Bareilly riots) के संबंध में आरोपी मौलाना तौकीर राजा के सहयोगी रेहान की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि ‘आई लव मोहम्मद’ जुलूस में “सिर तन से जुदा” का नारा न केवल दंगे भड़काने का प्रयास है, बल्कि सरकार को चुनौती भी है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देसवाल की एकल पीठ ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
बरेली दंगों के संबंध में रेहान के खिलाफ कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला दंगे भड़काने और भड़काऊ नारे लगाने के आरोप में दर्ज किया गया था। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाया गया नारा था ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सज़ा, सिर तन से जुदा, सिर तन से जुदा’। यह नारा कानून के अधिकार के साथ-साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देता है क्योंकि यह लोगों को सशस्त्र विद्रोह के लिए उकसाता है, इसलिए यह कृत्य धारा 152 बीएनएस के तहत दंडनीय होगा। अदालत ने आगे कहा कि यह इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों के भी विरुद्ध है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने याचिकाकर्ता रेहान की जमानत याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता के वकील अखिलेश कुमार द्विवेदी ने जमानत याचिका पर अपना पक्ष रखा। अतिरिक्त महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया।


