नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) की राजनीति में एक बार फिर तीखा टकराव देखने को मिल रहा है। प्रदूषण और विपश्यना को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Chief Minister Rekha Gupta) और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (former CM Arvind Kejriwal) के बीच जुबानी जंग खुलकर सामने आ गई है। दोनों नेताओं के बयानों ने राजधानी के सियासी माहौल को और गर्मा दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपश्यना को लेकर की गई टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ध्यान और आत्मचिंतन को राजनीति से जोड़कर देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इसे निजी आस्था और मानसिक संतुलन से जुड़ा विषय बताते हुए सरकार पर मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया।
वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने केजरीवाल पर पलटवार करते हुए तीखे शब्दों में कहा—
“दिल्ली को उसके हाल पर छोड़कर विपश्यना करने नहीं भागेंगे। पहले जनता के मुद्दे, फिर बाकी सब।”
सीएम रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार के दौरान प्रदूषण, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं जैसे गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज किया गया और अब नैतिकता की बात की जा रही है। दिल्ली में लगातार बिगड़ते प्रदूषण स्तर को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। मौजूदा सरकार का कहना है कि पूर्व सरकार ने ठोस नीति के बजाय केवल बयानबाज़ी की, जबकि केजरीवाल ने पलटकर कहा कि प्रदूषण केंद्र और राज्यों की साझा जिम्मेदारी है, केवल दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा करना राजनीति है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले समय में प्रदूषण, प्रशासनिक जवाबदेही और नैतिक राजनीति जैसे मुद्दों पर दिल्ली की राजनीति और तीखी हो सकती है। फिलहाल इतना साफ है कि दिल्ली की सियासत में शांति नहीं, बल्कि संघर्ष का दौर जारी है, और इसका असर आने वाले राजनीतिक समीकरणों पर साफ दिखाई देगा।


