– नॉन-प्रैक्टिसिंग होते हुए भी कोर्ट–कचहरी में सक्रियता, प्रशासन की रडार से अब तक बाहर—अवधेश मिश्रा का संरक्षण बना ढाल
फर्रुखाबाद: जनपद के अपराध जगत में तेजी से उभरते एक नाम ने पुलिस और प्रशासन की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। माफिया अनुपम दुबे (Mafia leader Anupam Dubey) के सबसे खास और नॉन-प्रैक्टिशनर साथी वकील पवन मिश्रा ने इन दिनों कुख्यात अवधेश मिश्रा गैंग (Awdhesh Mishra gang) की कमान अपने हाथों में ले रखी है। सूत्रों के अनुसार, अवधेश मिश्रा के मजबूत संरक्षण के कारण ही पवन अब तक प्रशासन की रडार से दूर रहा है।
जिला स्तर पर लंबे समय से सक्रिय अवधेश मिश्रा गैंग के कई सदस्य जेल में हैं, कई फरार। ऐसे में गैंग को आगे बढ़ाने और पुराने नेटवर्क को जिंदा रखने की जिम्मेदारी पवन मिश्रा ने संभाली है। नॉन-प्रैक्टिसिंग होने के बावजूद कोर्ट-कचहरी में उसकी लगातार बढ़ती दखलंदाजी कई बड़े मामलों को प्रभावित कर रही है।
सूत्र बताते हैं कि पवन मिश्रा न केवल कानूनी परामर्श के नाम पर गैंग के लिए काम कर रहा है, बल्कि कई विवादित संपत्ति मामलों, रंगदारी और जमीन कब्जा विवादों में ‘मध्यस्थ’ की भूमिका निभाकर गैंग को सक्रिय बनाए हुए है। पवन पर यह भी आरोप है कि वह प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए “लॉयर टैग” का दुरुपयोग कर रहा है।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि पवन और अनुपम दुबे के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है और कई संदिग्ध आर्थिक व कानूनी लेनदेन इनके नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं। अपराध जगत में उसे “लो-प्रोफाइल रणनीतिकार” माना जा रहा है—यानी सामने न आते हुए पीछे से गैंग ऑपरेशन को दिशा देना।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो पवन मिश्रा अपराध जगत में एक नए “शांत, लेकिन खतरनाक” चेहरे के रूप में उभर सकता है, जिसका लिंक जिला ही नहीं, प्रदेश स्तर के अपराधियों से भी जुड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, अब पवन मिश्रा पर निगरानी बढ़ाई जा रही है और उसके पुराने व नए नेटवर्क की गहन छानबीन शुरू होने की संभावना है।


