लखनऊ| प्रदेश में वर्ष 2025-26 की बिजली दरें जारी होने के तीन दिन बाद ही वर्ष 2026-27 के नए टैरिफ की तैयारी शुरू हो गई है। इस बार उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पॉवर कॉर्पोरेशन को कड़ा निर्देश देते हुए कहा है कि 30 नवंबर के बजाय 15 दिसंबर तक नया टैरिफ प्रस्ताव अनिवार्य रूप से दाखिल किया जाए और इसमें किसी भी प्रकार के संशोधन की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
राज्य में पिछले छह वर्षों से बिजली दरें नहीं बढ़ी हैं। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के अनुसार वर्ष 2026-27 के टैरिफ प्रस्ताव और वर्ष 2024–25 के ट्रू-अप का प्रस्ताव 30 नवंबर तक जमा करना अनिवार्य है, लेकिन पिछले वर्ष कॉर्पोरेशन ने प्रस्ताव में पाँच बार संशोधन किया, जिससे तय समय पर नई दरें जारी नहीं हो सकीं। इस बार आयोग ने पहले ही चेतावनी देते हुए कहा है कि केवल सही और प्रमाणिक आंकड़े ही भेजे जाएं।
उपभोक्ता परिषद ने कहा – बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़े देता है प्रबंधन
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस बार उपभोक्ताओं की जीत हुई है। पॉवर कॉर्पोरेशन हर बार बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़े भेजता है। पहले भी निगम ने 24 हजार करोड़ रुपये का अंतर दिखाकर दरों में 45% वृद्धि की मांग की थी, लेकिन परिषद ने वास्तविक आंकड़े सामने रखे, जिसके बाद आयोग ने दरें नहीं बढ़ाईं।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं का 18 हजार करोड़ रुपये का सरप्लस बिजली निगमों पर निकल रहा है, ऐसे में अब कॉर्पोरेशन और कंपनियों को सही आंकड़े ही दाखिल करने होंगे।
30 नवंबर को संघर्ष समिति संयोजकों की बैठक
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में 30 नवंबर को सभी जिलों के संयोजकों की बैठक बुलायी है। इसमें आगे की आंदोलन रणनीति तय होगी। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि नियामक आयोग द्वारा स्वीकृत आंकड़ों के अनुसार दक्षिणांचल की वितरण हानि 15.53% और पूर्वांचल की 16.23% है, जिसे 2029-30 तक क्रमशः 11.83% और 11.95% तक लाने का लक्ष्य है। उनका कहना है कि निजीकरण से बेहतर है कि लाइन लॉस कम करने पर ध्यान दिया जाए।
कर्मचारियों के साथ किसान और उपभोक्ता भी मैदान में
ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े नए बिल, तथा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगमों के निजीकरण के विरोध में आंदोलन तेज हो गया है। बिजली कर्मचारी, किसान और उपभोक्ता संगठन मिलकर 26 नवंबर को सुबह 11 बजे लखनऊ के परिवर्तन चौक पर शक्ति प्रदर्शन करेंगे।
26 की रैली के बाद 27 नवंबर को देशव्यापी प्रदर्शन होगा। राष्ट्रीय समन्वय समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ व्यापक एकजुटता तैयार हो चुकी है। गुरुवार को वाराणसी व आगरा समेत कई जिलों में संयुक्त प्रदर्शन होंगे।





