प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल पुराने आपराधिक मामले में चल रही बेहद धीमी कार्यवाही पर प्रयागराज जिला अदालत के एक पिठासीन अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच और ट्रायल में अनावश्यक देरी से आरोपी के शीघ्र न्याय पाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है।
जस्टिस विवेक कुमार सिंह की पीठ ने पाया कि मामले में पिछले 13 वर्षों से अभियोजन एक भी गवाह पेश करने में नाकाम रहा है, और अधीनस्थ न्यायालय की ओर से बार-बार दी जा रही नियमित तारीखों ने स्थिति को और खराब किया है। कोर्ट ने कहा कि इससे 73 वर्षीय आरोपी “पीड़ित” हो चुका है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि अधीनस्थ न्यायालय के कामकाज में “कहीं न कहीं कुछ गड़बड़” दिख रही है। इसी आधार पर जस्टिस सिंह ने पिठासीन अधिकारी को एक महीने के भीतर मुकदमा निपटाने का सख्त निर्देश दिया है।
यदि तय समय सीमा में केस समाप्त नहीं किया गया, तो न्यायाधीश ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि संबंधित अधिकारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
यह आदेश न्याय प्रणाली में तेजी, पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर एक बार फिर जोर देता है।





