क्रांति विचारों से जीती जाती है—हथियारों से नहीं; कलम ही इतिहास भी रचती है और पुराण भी

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सभ्यताओं को दिशा देने वाली सबसे बड़ी शक्ति तलवार नहीं, विचार और लेखनी—कलम ही समाज की असली परिवर्तनकारी ताकत

शरद कटियार
मानव सभ्यता का इतिहास गवाह है कि दुनिया में जितने भी बड़े परिवर्तन हुए हैं, वे हथियारों की ताकत से नहीं, बल्कि विचारों की शक्ति से जीते गए हैं। तलवारें साम्राज्य बदल सकती हैं, पर विचार समाज बदलते हैं। यही कारण है कि क्रांति का वास्तविक आधार हथियार नहीं, बल्कि विचार और लेखन रहा है।
युद्ध जीतने के लिए भले ही हथियारों की जरूरत होती हो, लेकिन मानवता जीतने के लिए विचारों की जरूरत होती है।
तलवार की उम्र छोटी होती है, लेकिन विचार पीढ़ियों तक चलते हैं।
यही वजह है कि इतिहास में जितने भी स्थायी परिवर्तन हुए, उनके पीछे किसी न किसी लेखक, विचारक या चिंतक की कलम रही।
जब हम इतिहास के पन्नों को पलटते हैं तो पाते हैं कि रामायण ने संस्कृति तय की, महाभारत ने नीति बनाई, पुराणों ने जीवन दर्शन सिखाया, और संविधान ने राष्ट्र को दिशा दी।
इन सभी की जड़ में एक ही शक्ति है—कलम। कलम विचारों को जन्म देती है और विचार पूरे समाज को दिशा प्रदान करते हैं। विचारों का प्रभाव—जहाँ तलवारें हार मान लेती हैं इतिहास में कई लेख ऐसे लिखे गए जिन्होंने साम्राज्यों को हिला दिया, रूस में अख़बारों के विचारों ने क्रांति की आधारशिला रखी, फ्रांसीसी चिंतकों ने अत्याचार की दीवारें गिराईं,
भारत में हिंद स्वराज, यंग इंडिया, केसरी और भगत सिंह के लेखों ने स्वतंत्रता आंदोलन को ज्वालामुखी बना दिया। महात्मा गांधी ने भी यही कहा “विचार सबसे बड़ा हथियार हैं।” आज जबकि समाज अफवाहों, भ्रम, झूठ, भ्रष्टाचार और अन्याय से जूझ रहा है, ऐसी स्थिति में कलम ही सबसे मजबूत प्रतिरोध बनकर उभरती है।
कलम सत्य बोलती है, सवाल उठाती है, सोच बदलती है और दिशा देती है।
हथियार डर पैदा करते हैं, पर कलम विचार पैदा करती है।

कलम पुराण लिख चुकी, अब भविष्य लिख रही है पुराणों ने युगों को दिशा दी, ग्रंथों ने मानवीय मूल्य तय किए, और आज की पत्रकारिता, चिंतन और लेखन आगे आने वाले समय का चरित्र तय कर रही है। लेखक, पत्रकार, कवि और विचारक ये आधुनिक समाज के ऋषि हैं। इनकी कलम में शक्ति है समाज को हिलाने की भी, जगाने की भी, और सुधारने की भी। क्रांति का असली हथियार तलवार नहीं, बल्कि विचार है।
जो लड़ाई विचारों से जीती जाए, वह स्थायी होती है। कलम इतिहास भी रचती है और आने वाले समय का पुराण भी लिखती है। इसलिए,कलम को थामिए, विचार को जगाइए, और समाज को दिशा दीजिए।

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