शिमला: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के शिमला स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नाहन के पूर्व जिला कोषागार अधिकारी (DTO) सतीश कुमार की मोहाली के खरड़ स्थित सनी एन्क्लेव में 1.84 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की एक आवासीय संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। यह कार्रवाई सरकारी पेंशन निधि के बड़े पैमाने पर गबन (pension scam) के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई है।
ED के अनुसार, कुर्क की गई संपत्ति में 200 वर्ग गज का एक भूखंड शामिल है जिस पर निर्माण कार्य चल रहा है। जांचकर्ताओं का मानना है कि इसे अवैध रूप से हस्तांतरित पेंशन राशि से खरीदा और विकसित किया गया था। यह मामला नाहन पुलिस स्टेशन द्वारा सतीश कुमार के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराओं के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है।
31 मई, 2023 को आरोपपत्र दाखिल किया गया और नाहन स्थित सिरमौर के विशेष न्यायाधीश ने उन्हें दोषी ठहराया है। जाँच से पता चला कि 2012 से 2018 तक डीटीओ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, सतीश कुमार ने राज्य के ई-पेंशन सॉफ्टवेयर में हेराफेरी करके पेंशन राशि को अपने और अपनी पत्नी व बच्चों के नाम पर कई बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया।
कम से कम 95 पेंशनभोगियों के लिए निर्धारित धनराशि 1,68,66,371 रुपये की हेराफेरी की गई, जिसे एजेंसी ने “अपराध की आय” के रूप में पहचाना। ईडी ने पाया कि गबन किए गए धन का इस्तेमाल बाद में मोहाली की संपत्ति हासिल करने के लिए किया गया, और चुराए गए धन को वैध बताकर प्रभावी ढंग से धनशोधन किया गया।
संपत्ति का वर्तमान मूल्यांकन 1.84 करोड़ रुपये से अधिक है। चूँकि पहचानी गई अपराध की आय का पूरा मूल्य पता चल गया है, इसलिए एजेंसी ने आगे किसी भी तरह के निपटान को रोकने के लिए पीएमएलए के तहत संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि यह कुर्की व्यवस्थित हेरफेर के माध्यम से गबन किए गए सार्वजनिक धन को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आगे कहा कि धोखाधड़ी से जुड़ी किसी भी अतिरिक्त संपत्ति या लाभार्थियों की पहचान के लिए आगे की जाँच जारी है।


