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Thursday, November 27, 2025

सदर विधायक का पुतला नहीं आगामी चुनाव का पहले रिहर्सल शो और एसपी को बदनाम करने की साजिश

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– एबीवीपी कार्यकर्ताओं को भ्रमित कर राजनीतिक विरोधियों साजिश
– अपराध पर विधायक और सख्त कार्रवाई करने वाली एसपी को कमजोर करना

फर्रूखाबाद: सदर विधायक (Sadar MLA) मेजर सुनील दत्त द्विवेदी का पुतला फूंके जाने की घटना केवल सामान्य विरोध नहीं, बल्कि एक बहुस्तरीय राजनीतिक और आपराधिक गठजोड़ की रणनीति का परिणाम दिखाई दे रही है। प्रारंभिक सूचनाओं और विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इस घटना के पीछे दो प्रमुख उद्देश्य स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं पहला, आगामी विधानसभा चुनावों (upcoming assembly elections) में टिकट की खींचतान और दूसरा वर्तमान एसपी द्वारा अपराधियों पर कसती लोहा जैसी कार्रवाई से नाराज माफिया तंत्र।

विधायक के खिलाफ सड़क पर विरोध—दरअसल टिकट की लड़ाई का मंच, सदर विधानसभा की सीट भाजपा के लिए सबसे निर्णायक सीटों में शामिल है। इस बार भी पार्टी में कई पुराने और नए बड़े चेहरे हैं, जो लंबे समय से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन मौजूदा विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी की छवि साफ-सुथरी, जमीनी और संगठन में सक्रिय मानी जाती है, जिससे कई टिकट चाहने वालों को राजनीतिक असहजता है।

इसी कारण, राजनीतिक विरोधियों ने मौका साधकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कुछ कथित कार्यकर्ताओं को भ्रमित और गुमराह किया। इनके माध्यम से सड़क पर विरोध कराकर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि— “विधायक का जनाधार कमजोर है, ।”

जबकि हकीकत यह है कि प्रदर्शन में शामिल कई युवाओं को यह तक नहीं मालूम था कि वे किस वास्तविक मुद्दे का हिस्सा बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा विधायक पर पुतला दहन हमले का दूसरा और बड़ा कारण उनके द्वारा “माफिया राज को संरक्षण न देना”

सूत्र बताते हैं कि सदर विधायक उन चुनिंदा जनप्रतिनिधियों में हैं जो किसी भी प्रकार के माफिया, भूमाफिया या अपराधी नेटवर्क को संरक्षण देने के सख्त खिलाफ हैं। यही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक कमजोरी भी बनी है। विधायक द्वारा बार-बार माफिया गतिविधियों का विरोध और प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए प्रेरित करना, कई अपराधी समूहों के हितों को सीधे प्रभावित कर रहा है।

इसी कारण अपराधी तत्वों ने राजनीतिक विरोधियों के साथ मिलकर“विधायक की छवि खराब करो—जनता का भरोसा डगमगाओ” जैसी रणनीति अपनाई है। वही सोची समझी रणनीति के तहत शातिर दिमाग षड्यंत्रकरियों ने विधायक का पुतला फूंक कर एसपी को भी निशानें पर लिया क्योंकि उन्होंने अपराधियों की कमर तोड़ी है।

पुतला फूंकने की घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि इस विरोध का लक्ष्य सिर्फ विधायक नहीं थे—बल्कि एसपी भी थीं। वर्तमान पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले में माफियाओं, अवैध कब्जेदारों, हिस्ट्रीशीटरों और संगठित अपराध तंत्र पर लगातार गोलबंद कार्रवाई की गई है।

यह कार्रवाई इतनी प्रभावी रही है कि कई वर्षों से सक्रिय अपराधी फरार हो गए,कई के अवैध धंधे रुक गए,
और कई रसूखदार व्यक्तियों के आर्थिक हित टूट गए। इससे तिलमिलाए अपराधी तत्व और उनकी राजनीतिक बैकिंग अब एसपी को हटाने की कोशिश में जुट गए हैं।

पुतला फूंके जाने के पीछे एक संदेश साफ था—पुलिस के जरिये “एसपी को कमजोर करो और प्रशासन पर दबाव डालो।”
यानी, यह घटना केवल राजनीतिक हमला नहीं, बल्कि एक संगठित माफिया-राजनीति गठबंधन की रणनीति है, जिसका मकसद प्रशासनिक सख्ती को खत्म कर अपने लिए सुरक्षित माहौल बनाना है।इस घटना ने जिले में एक बड़ा संकेत दे दिया है कि आगामी चुनावों में माफिया तंत्र फिर सक्रिय हो चुका है।और उनका पहला निशाना साफ-सुथरी छवि वाले जनप्रतिनिधि और सख्त प्रशासनिक अधिकारी पर रहा यानी, यह सिर्फ पुतला दहन नहीं आगामी चुनाव का पहला रिहर्सल था।

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