लखनऊ। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरोजनीनगर क्षेत्र में ग्राम समाज की जमीनों पर दलितों का कब्जा दिखाकर करोड़ों रुपये का मुआवजा हड़पने का मामला पकड़ा गया है। रिकॉर्ड में यह हेराफेरी एक्सप्रेसवे के सीमांकन के बाद की गई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा।
जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम-1950 की धारा 122 बी (4एफ) के अनुसार यदि किसी भूमि पर अनुसूचित जाति का व्यक्ति वर्ष 2007 से पहले से काबिज है, तो उसे हटाया नहीं जा सकता। उसे पहले असंक्रमणीय फिर संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिए जाते हैं। इसी प्रावधान का दुरुपयोग कर ग्राम समाज की जमीनों को कब्जे के नाम पर निजी लाभ के लिए दिखाया गया।
राजस्व परिषद में सुनवाई के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें पहले ग्राम समाज की भूमि चिह्नित की गई और बाद में उसी भूमि पर दलितों का कब्जा दर्शाया गया। उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि सिर्फ सरोजनीनगर तहसील में ही यह घपला 100 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।
राजस्व परिषद ने अब प्रदेश के सभी जिलों में जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामलों की जांच कराने का निर्णय लिया है, ताकि ऐसे अन्य घोटालों का भी खुलासा हो सके।
राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने पुष्टि की कि “ऐसे मामले संज्ञान में आए हैं। एक्सप्रेसवे के सीमांकन के बाद पट्टे दिए जाने की शिकायतें मिली हैं। इन सभी मामलों की जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं।”






