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Thursday, November 20, 2025

राष्ट्रपति मुर्मू ने जल संरक्षण और प्रबंधन का किया आह्वान

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकारों, जिला प्रशासनों, ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के स्तर पर जल संरक्षण और सुसंगत प्रबंधन (water conservation and management) को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया। छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार और जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने किसानों और उद्यमियों को जल की खपत को कम करते हुए उत्पादन को अधिकतम करने के नवीन तरीके अपनाने की सलाह दी।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रभावी जल प्रबंधन केवल व्यक्तियों, परिवारों, समाज और सरकार की भागीदारी से ही संभव है, और जल संसाधनों के कुशलतम उपयोग को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमारी परंपरा में नदियाँ, झीलें और अन्य जल स्रोत पूजनीय हैं। हमारे राष्ट्रीय गीत में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया पहला शब्द सुजलम है। इसका अर्थ है ‘प्रचुर जल संसाधनों से धन्य’। यह तथ्य हमारे देश के लिए जल की प्राथमिकता को दर्शाता है।”

जल के कुशल उपयोग को एक वैश्विक अनिवार्यता बताते हुए, उन्होंने कहा कि हमारे देश के लिए जल का कुशल उपयोग और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जनसंख्या की तुलना में हमारे जल संसाधन सीमित हैं। प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन जल चक्र को प्रभावित कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में, सरकार और जनता को जल उपलब्धता और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि चक्रीय जल अर्थव्यवस्था प्रणालियों को अपनाकर, सभी उद्योग और अन्य हितधारक जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल उपचार और पुनर्चक्रण के साथ-साथ, कई औद्योगिक इकाइयों ने शून्य द्रव उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ऐसे प्रयास जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए उपयोगी हैं।

राष्ट्रपति ने लोगों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से जल संरक्षण के प्रति निरंतर सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जन चेतना में जल जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जल का संचयन और संरक्षण केवल जनशक्ति से ही संभव है। राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य लोगों में जल के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें जल उपयोग के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

जल संचय जन भागीदारी (जेएसजेबी) पहल सामुदायिक भागीदारी और संसाधनों के अभिसरण के माध्यम से कृत्रिम भूजल पुनर्भरण के विविध, मापनीय और अनुकरणीय मॉडलों के उद्भव में अग्रणी रही है। पिछले वर्ष शुरू की गई इस पहल के तहत, 35 लाख से अधिक भूजल पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

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