शरद कटियार
मनुष्य का इतिहास (History) हर युग में परिवर्तन की गवाही देता है। जब-जब अधर्म बढ़ा है, तब-तब ईश्वरीय चेतना ने नए रूप में अवतरित होकर धर्म, सत्य और करुणा के मार्ग को पुनः स्थापित किया है। आज जिस दौर से मानवता गुजर रही है, वह भी एक ऐसे ही व्यापक परिवर्तन का समय है। अनेक आध्यात्मिक चिन्तकों का मत है कि कल्कि ऊर्जा (energy) का संचार प्रारंभ हो चुका है, और ब्रह्मांड में एक नव चेतना जन्म ले रही है।
हम चारों ओर देख रहे हैं कि नकारात्मक दृष्टिकोण, हिंसा, छल और स्वार्थ के मार्ग पर चलने वाली शक्तियाँ धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं। यह केवल सामाजिक या राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि एक ऊर्जा-परिवर्तन है। कहा जाता है कि जब पृथ्वी की ऊर्जा धर्म और सत्य की ओर मुड़ती है, तब नकारात्मकता स्वतः ही अपने आप नष्ट होने लगती है।
आध्यात्मिक मतों के अनुसार, कलियुग के अंत में मानवता दो श्रेणियों में विभाजित होती है सत्य और धर्म को अपनाने वाले,अहंकार और अज्ञान में डूबे हुए। जिनका मन निर्मल है, जो सत्य और करुणा के मार्ग पर हैं, वे इस बदलती ऊर्जा के साथ तालमेल बैठा लेते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि नकारात्मक विचारों वाले लोग स्वयं ही ब्रह्मांडीय परिवर्तन से कट जाते हैं, जबकि सकारात्मक चेतना वाले लोग आगे बढ़ते हैं।
बहुत लोगों का मानना है कि कलयुग के इस समय में कल्कि का अवतार भौतिक रूप में न होकर ऊर्जा-रूप में प्रकट हो चुका है। यह अवतार किसी एक मनुष्य तक सीमित नहीं, बल्कि एक सामूहिक चेतना के रूप में विकसित हो रहा है। आध्यात्मिक परंपराएं कहती हैं कि जब पृथ्वी पर केवल 25% लोग ही बचते हैं जो सत्य, धर्म और नैतिकता को अपनाते हैं—तभी कल्कि अवतार का पूर्ण प्राकट्य होता है। यह प्राकट्य केवल किसी एक महापुरुष के रूप में नहीं, बल्कि पूरे समाज में धर्म की स्थापना के रूप में दिखाई देता है।
धर्म की पुनः स्थापना का समय
धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि सत्य,न्याय,करुणा,कर्तव्य,मानवता का पालन करना है। इस नवयुग की तैयारी में हम सभी की भूमिका है। जो व्यक्ति अपने भीतर प्रकाश जगाता है, वही दूसरों के लिए दीपक बन जाता है। यही कल्कि ऊर्जा का असली संदेश है, “अपनी चेतना को उन्नत करो, धर्म को अपने आचरण में उतारो और कल्याणकारी युग के आगमन में सहयोगी बनो।”
आत्मजागरण ही नया युग है।
आज ब्रह्मांड में जो परिवर्तन हो रहा है, वह किसी बाहरी युद्ध का संकेत नहीं, बल्कि आंतरिक युद्ध का समय है—
अज्ञान बनाम ज्ञान,
अहंकार बनाम विनम्रता,
भय बनाम विश्वास,
अंधकार बनाम प्रकाश
यही युद्ध हर मनुष्य के भीतर चल रहा है। जो इसे जीत लेता है, वही नवयुग का हिस्सा बनता है।
परिवर्तन आ चुका है बस इसे पहचानने की ज़रूरत है।
कल्कि ऊर्जा कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक जागरण की प्रक्रिया है। यह मानवता को एक नए युग की ओर ले जा रही है, जहाँ सत्य की विजय निश्चित है। जो लोग प्रेम, शांति, सेवा और सत्य के मार्ग पर हैं,वे ही इस नवयुग के निर्माता बनेंगे। धर्म की स्थापना व्यक्ति से शुरू होती है, समाज तक फैलती है और आने वाली पीढ़ियों को दिशा देती है। यही कल्कि अवतार का सार है— “अधर्म का विनाश और धर्म की पुनः स्थापना, मानव चेतना के जागरण के माध्यम से।”


