पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही भाजपा ने बड़ा अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। पार्टी ने स्पष्ट किया कि सिंह की लगातार विवादित और पार्टी-लाइन के विपरीत बयानबाजी ने संगठन की छवि को गहरी क्षति पहुंचाई है, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई।
भाजपा के इस कदम से पहले आरके सिंह बीते कई दिनों से एनडीए नेतृत्व, गठबंधन उम्मीदवारों और बिहार सरकार पर खुलेआम गंभीर आरोप लगा रहे थे। उन्होंने यहां तक कहा कि “ऐसे लोगों को वोट देने से अच्छा है, चुल्लू भर पानी में डूब मरना”, जिसे लेकर पार्टी के अंदर और बाहर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।
सबसे बड़ा विवाद तब सामने आया जब सिंह ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जेडीयू नेता अनंत सिंह और आरजेडी के सूरजभान सिंह को सार्वजनिक मंच से “हत्या का आरोपी” बताया। उन्होंने कहा कि “बिहार की राजनीति में अपराधीकरण बढ़ाने वाले ये चेहरे किसी भी रूप में जनता के प्रतिनिधि होने योग्य नहीं हैं।”
इसी के साथ उन्होंने नीतीश कुमार सरकार पर 62,000 करोड़ रुपये के बिजली घोटाले का आरोप लगाते हुए अडाणी समूह के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते को “जनता के साथ धोखा” करार दिया। सिंह का दावा है कि सरकार अडाणी पावर से 6.75 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदेगी, जबकि मौजूदा बाजार दर इससे कम है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यह परियोजना पहले NTPC के जरिये स्थापित की जानी थी और इसकी घोषणा केंद्रीय बजट में हो चुकी थी, फिर इसे अचानक निजी हाथों में क्यों सौंपा गया। आरके सिंह ने सोशल मीडिया पर दस्तावेज साझा करते हुए कहा कि NTPC मॉडल में फिक्स चार्ज 2.32 रुपये प्रति यूनिट था, जबकि सरकार ने निजी मॉडल में 4.16 रुपये मंजूर किया, जिससे 1.84 रुपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
आरके सिंह ने लिखा—“चोरी और सीना जोरी साथ नहीं चल सकती। भ्रष्टाचार पर चुप रहना हमारे संस्कार में नहीं है।”
भाजपा ने बयान जारी कर कहा कि सिंह की टिप्पणी से पार्टी की साख को नुकसान पहुंचा और गठबंधन नेतृत्व पर लगातार हमले लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ हैं, इसलिए उनकी प्राथमिक सदस्यता समाप्त की गई।




