लखनऊ| आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक सर्जरी के दौर में भी चिकित्सा लापरवाही के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला लखनऊ जिले के गोसाईंगंज का है, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में सिजेरियन ऑपरेशन के बाद एक प्रसूता के पेट में गाज-पट्टी छोड़ दिए जाने का गंभीर आरोप लगा है। तबीयत खराब होने पर जब महिला को दोबारा इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, तभी परिजनों को इस लापरवाही की जानकारी हुई।
गोसाईंगंज के बेगरियामऊ गांव निवासी रत्नेश सिंह ने बताया कि उन्होंने 22 सितंबर को प्रसव पीड़ा होने पर अपनी पत्नी सोनिया को गोसाईंगंज सीएचसी में भर्ती कराया था। आरोप है कि उसी दिन वहां मौजूद महिला डॉक्टर ने सिजेरियन ऑपरेशन कर प्रसव कराया था। ऑपरेशन के कुछ देर बाद ही सोनिया की तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे लोहिया संस्थान के मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल रेफर कर दिया। वहां पांच दिन इलाज के बाद महिला को छुट्टी दे दी गई और वह घर लौट आई।
करीब 10 दिन बाद सोनिया के टांके पकने लगे। रत्नेश उसे दोबारा गोसाईंगंज सीएचसी लेकर पहुंचे, लेकिन आरोप है कि वहां मौजूद डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया और किसी दूसरे अस्पताल में दिखाने की सलाह देकर वापस भेज दिया। इसके बाद परिजन महिला को वापस घर ले आए।
रत्नेश के अनुसार 13 नवंबर को सोनिया को अचानक तेज दर्द होने लगा। इसी दौरान यूरिन के रास्ते से कपड़े जैसा कुछ बाहर आता दिखा। खींचने पर रुमाल के आकार की पट्टी निकली। परिजनों ने इसे जब निजी अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टरों ने इसे गाज-पट्टी बताया। परिजन का आरोप है कि यह पट्टी सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान ही पेट में छोड़ दी गई थी।
पीड़ित पति ने गोसाईंगंज थाने में तहरीर देने के साथ ही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।
अधीक्षक, सीएचसी गोसाईंगंज डॉ. सुरेश चंद्र पांडेय ने कहा कि “महिला के पेशाब के रास्ते जो पैड निकला है, वह सीएचसी की महिला डॉक्टर द्वारा नहीं डाला गया है। प्रसूता रेफर होने के बाद निजी अस्पताल में भी इलाज के लिए गई थी। शिकायत मिली है, मामले की जांच कराई जाएगी।”
मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है और पीड़ित परिवार कार्रवाई की मांग कर रहा है।



