फर्रुखाबाद फतेहगढ़। कहते हैं माता-पिता अपने बच्चों को पालने-पोसेने में अपनी पूरी जिंदगी खपा देते हैं, लेकिन जब वही संतान बुढ़ापे के सहारे बनने के बजाय ज़िंदगी का बोझ समझने लगे, तो यह दृश्य किसी भी समाज की आत्मा को झकझोर देता है। फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र में ऐसी ही एक दर्दनाक कहानी सामने आई है, जहां एक वृद्ध मां अपने ही घर से बेदखल कर दिए जाने के बाद सड़क पर रहने को मजबूर हो गई है।
मोहल्ला नेकपुर चौरासी की रहने वाली रेखा सिंह, जिनके पति केपी सिंह कुशवाहा बरेली के फरीदपुर में सीओ पद पर तैनात रहे थे, अब इस दुनिया में नहीं हैं। पति के निधन के बाद उन्हें उम्मीद थी कि बेटा-बहू उनका सहारा बनेंगे, लेकिन किस्मत ने क्रूर मोड़ लेते हुए उनकी ज़िंदगी को एक दर्दनाक परीक्षा में बदल दिया।
रेखा सिंह ने आरोप लगाया है कि उनका पुत्र गोलू और पुत्रवधू रंजन ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। वृद्धावस्था में जब उन्हें अपने परिवार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तभी उन्हें अपने ही आंगन से बेदर्दी के साथ बेघर कर दिया गया। मजबूरी में उन्हें सड़क किनारे रहना पड़ा, जहां सुरक्षा, सम्मान और जीवन की बुनियादी सुविधाओं का कोई सहारा नहीं था।
अपने साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार से दुखी रेखा सिंह ने आखिरकार हिम्मत जुटाकर पुलिस के दरवाज़े पर दस्तक दी। उन्होंने पुलिस अधीक्षक फतेहगढ़ आरती सिंह को प्रार्थना पत्र देकर बेटे-बहू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और अपनी सुरक्षा की मांग की है।
उनकी उम्मीद अब कानून से है, जो शायद उन्हें न्याय दिला सके।
इस पूरे मामले ने स्थानीय लोगों के मन को झकझोर दिया है। एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी की पत्नी, जिसने अपने पति के होते हुए कानून-व्यवस्था को मजबूत होते देखा था, आज खुद न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाने को मजबूर है। सवाल यह भी है कि आखिर समाज में बढ़ती ऐसी संवेदनहीनता को कैसे रोका जाए, जहां माता-पिता ही अपने बच्चों के भरोसे असुरक्षित महसूस करने लगें।
फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है, और रेखा सिंह को उम्मीद है कि उन्हें उनका हक और सम्मान फिर से मिल सकेगा।



