– अवधेश मिश्रा का नाम आते ही थानों में छा जाती थी दहशत — अब खुद अदालत में निर्दोष होने का कर रहा दावा!
फर्रुखाबाद: पुलिस विभाग के अंदरूनी हलकों में एक नाम वर्षों से दहशत, ब्लैकमेलिंग और कानूनी उत्पीड़न, दलाली का प्रतीक माना जाता रहा है वकील अवधेश मिश्रा। पुलिसकर्मियों (policemen) के एक बड़े समूह ने दावा किया है कि मिश्रा ने पिछले 20 सालों में पुलिसकर्मियों को झूठे, गढ़े हुए और भयावह मामलों में फँसाकर अपना दबदबा बनाया।
आरोपों में कहा गया है कि वह— कभी गैंगरेप का आरोप लगवाता, कभी उत्पीड़न की तहरीर दिलवाता, कभी मुकदमे हटवाने के नाम पर पैसे की माँग करता, और महीनों तक पीड़ित पुलिसकर्मियों का पीछा नहीं छोड़ता था।“मिश्रा के नाम से पूरा थाना काँप जाता था” वर्ष 2020 का सबसे हैरान कर देने वाला मामला जब अपने मन के मुताबिक बह झूठ गैंगरेप का मुकदमा थाने से नहीं लिखा सका तो थाना कमालगंज पुलिस को ही गैंग रेप मे अभियुक्त बना दिया।
पुलिसकर्मियों के अनुसार 2020 में उसने अपने “गिरोह” से जुड़ी एक महिला मित्र के जरिए कमालगंज थाना अध्यक्ष सहित आधा दर्जन पुलिसकर्मियों पर गैंगरेप का आरोप लगवाया।यह आरोप इतना संगीन था कि पूरे जिले में तूफान आ गया था। लेकिन प्राथमिक जांच और सुनवाई में मामला निराधार पाया गया और सीजेएम अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब यह चाल न चली तो मिश्रा ने उसी विषय को लेकर कोर्ट में परिवाद दायर करा दिया, जो आज भी विचाराधीन है। एक पुलिसकर्मी ने कहा— “वह व्यक्ति अगर किसी के पीछे पड़ जाए तो महीने-दर-महीने, केस-दर-केस, शिकायत दर शिकायत वह पीछा नहीं छोड़ता। वह अदालतों का इस्तेमाल हथियार की तरह करता है।”
“कई पुलिसकर्मियों का करियर बर्बाद कर चुका है”—आरोप और भी भारी कई पुलिसकर्मियों ने दावा किया कि कुछ को उसने झूठी शिकायतों मे महीनों उलझाकर रखा। तो किसी का तबादला करा दिया। कुछ का प्रमोशन रुकवा दिया, किसी की पेंशन बाधित कर दी। कई मजबूरी में समझौते के नाम पर रकम देते रहे। कई आज भी उसके नाम से डरकर छिपते हैं।
एक दारोगा ने कहा— “वह केस नहीं करता, हमला करता है… अदालत के रास्ते से!” अब अदालत में निर्दोष बनने की कोशिश कर रहा।पुलिसकर्मी बोले, ‘अब असली चेहरा उजागर हो’ सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन पुलिसकर्मियों पर वर्षों तक वह केस और शिकायतों की बौछार करता रहा,उन्हीं मामलों में अब मिश्रा खुद को अदालत में निर्दोष बता रहा है।
पुलिस कर्मियों का कहना है— “अब समय है कि अदालत और एजेंसियाँ उसकी पूरी गतिविधियों की जाँच करें, ताकि पता चले कि उसने दो दशक में कितनों को फँसाया और क्यों।”


