सूर्या अग्निहोत्री (यूथ इंडिया न्यूज ग्रुप)
भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की कभी कमी नहीं रही, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो मैदान पर असाधारण प्रदर्शन करने के बावजूद सुर्खियों की रोशनी से दूर ही रह जाते हैं। महाराष्ट्र के तकनीकी रूप से सधे हुए और शांत स्वभाव वाले बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड़ भी उन्हीं में से एक हैं। 2016 में घरेलू क्रिकेट से अपने करियर की शुरुआत करने वाले गायकवाड़ ने बेहद कम समय में अपनी काबिलियत, स्थिरता और शॉट सिलेक्शन से चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। क्लासिक बल्लेबाजी और परफेक्ट टाइमिंग के लिए मशहूर ऋतुराज ने आईपीएल 2021 में ऑरेंज कैप जीतकर यह साबित किया था कि वह किसी भी फॉर्मेट में लंबा सफर तय करने की क्षमता रखते हैं। हाल ही में भारत (ए) और दक्षिण अफ्रीका (ए) के बीच अनऑफिशियल टेस्ट मैच में उनके द्वारा लगाया गया शानदार शतक और प्लेयर ऑफ द मैच पुरस्कार बताता है कि उनका फॉर्म और आत्मविश्वास दोनों लगातार मज़बूत होते जा रहे हैं। आँकड़ों की बात करें तो गायकवाड़ ने अपनी निरंतरता से हर स्तर पर प्रभावित किया है। लिस्ट-ए क्रिकेट में उनका औसत 56 से अधिक और टी-20 में लगभग 40 है, जो आधुनिक क्रिकेट में बेहद उम्दा माना जाता है। यह सिर्फ उनकी क्षमता ही नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती का भी प्रमाण है कि वे किसी भी परिस्थिति में टीम के लिए रन निकालने का हुनर रखते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्हें चाहे सीमित मौके मिले हों, लेकिन हर अवसर पर उन्होंने दिखाया है कि वे सिर्फ मौके के खिलाड़ियों में से नहीं, बल्कि भरोसेमंद सलामी बल्लेबाज हैं। उनके टी-20 अंतरराष्ट्रीय करियर की सबसे खास पारी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाया गया शानदार शतक है, जिसने यह साफ कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव में भी वे बड़े से बड़े हमले का सामना कर सकते हैं।

ऋतुराज गायकवाड़ के करियर का सबसे यादगार क्षण तब आया जब उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी 2022 में एक ओवर में सात छक्के लगाकर इतिहास रच दिया। उत्तर प्रदेश के गेंदबाज शिवा सिंह के ओवर में यह कारनामा हुआ, जिसमें एक गेंद नो-बॉल थी और उस पर भी गायकवाड़ ने छक्का जड़ दिया। यह उपलब्धि न सिर्फ भारतीय घरेलू क्रिकेट में दर्ज एक अनोखा रिकॉर्ड है बल्कि उनकी विस्फोटक क्षमता, मानसिक संतुलन और मैच पढ़ने की समझ का भी बेहतरीन उदाहरण है। इतनी प्रतिभा और उपलब्धियों के बावजूद ऋतुराज को भारतीय टीम में उतने अवसर नहीं मिल पाए, जितने मिलना चाहिए थे। 2023-24 के दौरान जब कई युवा खिलाड़ियों को लगातार मौके दिए गए, वहीं गायकवाड़ को सीमित अवसर मिले, जिससे उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की गति धीमी पड़ गई। लेकिन जिसकी गुणवत्ता और क्लास मजबूत हो, उसे परिस्थितियाँ भले रोक दें, उसकी पहचान कभी नहीं रोक सकतीं। आज जब सोशल मीडिया और प्रचार-प्रसार खिलाड़ियों की लोकप्रियता का पैमाना बना हुआ है, वहीं ऋतुराज जैसे शांत, अनुशासित और विनम्र खिलाड़ी अक्सर सुर्खियों के बजाय अपने प्रदर्शन से अपनी पहचान बनाते हैं। वे उन खिलाड़ियों की कतार में हैं जिन्हें चमकदार तस्वीरों से ज़्यादा मेहनत और निरंतरता पर विश्वास है। क्रिकेट विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी लाइन-अप में स्थिरता, तकनीक और भरोसे का संतुलन बनाने के लिए ऋतुराज जैसा खिलाड़ी बेहद अहम साबित हो सकता है।

क्रिकेट की दुनिया में कहा जाता है—“फॉर्म अस्थायी होता है, लेकिन क्लास स्थायी।” ऋतुराज गायकवाड़ की क्लास, शांति और कामयाबी की भूख यही बताती है कि उनकी कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। आने वाला समय इस ‘साइलेंट परफॉर्मर’ को एक बार फिर सुर्खियों में ला सकता है, और शायद तब भारतीय क्रिकेट उसी प्रतिभा को पहचान दे पाए जिसकी चमक अब भी गुमनामी के साये में छिपी हुई है।

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