– 66A खत्म होने के बाद भी उसके गुर्गे इंस्पेक्टर अनूप निगम ने 2016–17 में दर्ज कराए थे दो फर्जी मुकदमे
फतेहगढ़ (फर्रूखाबाद): पत्रकार शरद कटियार के अनुसार वर्ष 2016 और 2017 में फतेहगढ़ कोतवाली में दर्ज किए गए दो मुकदमे—जबकि धारा 66A आईटी एक्ट 24 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्णतः निरस्त कर दी गई थी—स्पष्ट करते हैं कि उस समय अवधेश मिश्रा (Awadhesh Mishra) का आदेश सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश से भी बड़ा माना जा रहा था।
सर्वोच्च न्यायालय ने श्रेया Singhal vs यूनियन ऑफ़ इंडिया में धारा 66A को असंवैधानिक और शून्य घोषित कर दिया था। यानि 66A में किसी भी प्रकार की FIR दर्ज नहीं हो सकती थी। लेकिन फतेहगढ़ कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अनूप कुमार निगम—जो अवधेश मिश्रा के “करीबी” माने जाते थे—ने 06 दिसंबर 2016 को और 09 जनवरी 2017 को अवधेश मिश्रा की शिकायत पर ही,उनके विरुद्ध धारा 66A आईटी एक्ट में मुकदमे लिख दिए!
कानून खत्म, पर आदेश जारी — ये कैसा शासन था?
उन का आरोप है कि जिस समय देशभर में 66A का अस्तित्व ही नहीं था,फिर भी फतेहगढ़ कोतवाली में इस धारा में दो फ़र्ज़ी मुक़दमे लिखवा दिए गए। स्थानीय लोगों और वकीलों का कहना है कि उस समय का माहौल ऐसा था कि— “अवधेश मिश्रा का हुक्म ही कानून था— SHO हो या सिपाही, सब उसी के इशारे पर चलते थे।”
इंस्पेक्टर अनूप कुमार निगम ने “गुरु–चेले” वाली भूमिका निभाते हुए 66A ख़त्म होने के बावजूद दो फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज कियाऔर आरोपित भी किया, कानून को ताक पर रखकर अवधेश मिश्रा की दिल खोल गुलामी की।


