स्मार्ट मीटर योजना पर उठे सवाल: 3050 मीटर में तकनीकी खामियां, 27,823 में ‘वोल्टेज जीरो’ की स्थिति, उपभोक्ता परिषद ने जांच की मांग की

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लखनऊ। प्रदेश में लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने खुलासा किया है कि 3050 स्मार्ट प्रीपेड मीटरों में गंभीर तकनीकी खामियां पाई गई हैं, जबकि 27,823 से अधिक मीटरों में ‘वोल्टेज जीरो’ की स्थिति दर्ज हुई है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

अवधेश वर्मा ने बताया कि बिजली चोरी रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई स्मार्ट मीटर योजना पर अब सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने कहा कि कई मीटरों में टेंपरिंग, कवर खोलने, सील तोड़ने जैसी अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि स्मार्ट मीटर से छेड़छाड़ कर बिजली चोरी की जा रही है।

प्रदेश में अब तक 36.44 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 3050 मीटर में तकनीकी दोष या अनियमितताएं पाई गई हैं। इनमें कई मीटरों में चीन के बने कंपोनेंट लगाए गए हैं, जिससे मीटरों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे हैं।

परिषद के अनुसार, विभिन्न विद्युत वितरण कंपनियों में इंटेलीस्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के 2538 स्मार्ट मीटर, जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के 395 मीटर, पोलारिस कंपनी के 39 मीटर, और जीनस पावर के 78 मीटर में खामियां दर्ज की गई हैं।

सबसे चौंकाने वाली स्थिति पश्चिमांचल विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र में सामने आई, जहां इंटेलीस्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के 27,823 से अधिक मीटरों में ‘वोल्टेज जीरो’ की स्थिति मिली, जबकि इन सभी में करेंट उपलब्ध था। यह तकनीकी दृष्टि से असंभव स्थिति मानी जा रही है और जांच का विषय है।

इसके अलावा, पूर्वांचल में 5, मध्यांचल में 46 और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के कार्यक्षेत्र में 5 मीटरों में ‘वोल्टेज जीरो’ की स्थिति दर्ज की गई है। परिषद का कहना है कि यह सबूत इस बात के हैं कि स्मार्ट मीटर सिस्टम में पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं, जिन्हें तत्काल उच्चस्तरीय तकनीकी और प्रशासनिक जांच से परखा जाना आवश्यक है।

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