अधिकारी और प्रबंधन की मिलीभगत से उठा भ्रष्टाचार का सवाल
फर्रुखाबाद। कायमगंज तहसील क्षेत्र के गांव बरझाला स्थित मुस्कान ट्रेडर्स तंबाकू फैक्ट्री एक बार फिर विवादों में है। फैक्ट्री पर प्रदूषण नियंत्रण मानकों की खुली धज्जियां उड़ाने और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी रिपोर्ट तैयार कराने के गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायतकर्ता मनोज कुमार ने इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव (वन एवं पर्यावरण विभाग) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ से की है।शिकायत में कहा गया है कि फैक्ट्री में प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी साइक्लोन मशीन और डस्ट कलेक्टर जैसे उपकरण स्थापित न होने के बावजूद क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानपुर नगर ने गलत रिपोर्ट भेजकर फैक्ट्री को संचालन की अनुमति दिला दी। मनोज कुमार के अनुसार, अधिकारियों की यह हरकत न केवल भ्रष्टाचार की बू देती है, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ भी खिलवाड़ है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उन्होंने जब इस मामले को उजागर किया, तो कार्रवाई से बचने के लिए क्षेत्रीय अधिकारी ने बाद में कागजों पर यह उल्लेख कर दिया कि “साइक्लोन और डस्ट कलेक्टर लगाए जाने के बाद ही संचालन की अनुमति दी जाएगी। जबकि हकीकत यह है कि 7 मई 2025 को किए गए निरीक्षण में फैक्ट्री में कोई साइक्लोन मशीन मौजूद नहीं थी, फिर भी गलत रिपोर्ट बनाकर लखनऊ मुख्यालय भेजी गई और उसी आधार पर फैक्ट्री को संचालन की अनुमति मिल गई।
अब शिकायत के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फैक्ट्री प्रबंधन को नोटिस जारी किया है, जिसमें साइक्लोन और डस्ट कलेक्टर लगाने के बाद ही संचालन की अनुमति देने की बात कही गई है। मनोज कुमार का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक फैक्ट्री का नहीं, बल्कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और मिलीभगत का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह अधिकारियों की फर्जी रिपोर्ट पर फैक्ट्रियों को छूट मिलती रही, तो गांवों में प्रदूषण और जनस्वास्थ्य दोनों ही खतरे में पड़ जाएंगे।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं और धूल आसपास के वातावरण को दूषित कर रहा है। बच्चों और बुजुर्गों को सांस संबंधी दिक्कतें हो रही हैं। ग्रामीणों ने भी शासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और सख्त जांच कर दोषी अधिकारियों और फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा यह मामला अब प्रशासनिक परीक्षा की कसौटी बन गया है देखना होगा कि क्या शासन इस पर कड़ी कार्रवाई करता है या एक और फाइल रफादफा कर दी जाएगी।






