नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में हुए कार धमाके की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) करेगी। गृह मंत्रालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच एनआईए को सौंपी है। एजेंसी ने इस सिलसिले में 10 सदस्यीय विशेष टीम का गठन किया है, जिसकी कमान एडीजी (अतिरिक्त महानिदेशक) विजय सखारे को सौंपी गई है। विजय सखारे अपनी ईमानदारी और उत्कृष्ट जांच कौशल के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने इससे पहले भी कई संवेदनशील मामलों की गुत्थियां सुलझाई हैं।
एनआईए की यह विशेष टीम दिल्ली ब्लास्ट की गुत्थी सुलझाने और गुनहगारों तक पहुंचने की चुनौती से निपटेगी। इस टीम में एक आईजी, दो डीआईजी, तीन एसपी और बाकी डीएसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। जांच में दिल्ली पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस से भी सहयोग लिया जाएगा, ताकि किसी भी कड़ी को छोड़ा न जाए।
गौरतलब है कि लाल किले के पास हुए इस धमाके की जांच पहले दिल्ली पुलिस कर रही थी, लेकिन घटना के संवेदनशील स्वरूप और संभावित आतंकी कनेक्शन के चलते गृह मंत्रालय ने जांच एनआईए को सौंपने का निर्णय लिया। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस धमाके को आतंकी साजिश मानते हुए यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम) की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
एनआईए की प्रारंभिक जांच में यह मामला उस मॉड्यूल से जुड़ा प्रतीत हो रहा है, जिसमें हाल ही में फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए गए थे। जांच एजेंसियों को शक है कि यह वही नेटवर्क है, जो देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहा था।
एनआईए इस मामले में शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद वाघाय और गांदरबल के वकूरा निवासी जमीर अहमद की भूमिका की भी जांच कर रही है, जिन्हें 20 से 27 अक्तूबर 2025 के बीच गिरफ्तार किया गया था। वहीं 8 नवंबर 2025 को अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से बरामद हथियार, पिस्तौल और विस्फोटक सामग्री को भी इस जांच से जोड़ा गया है।
एनआईए का कहना है कि जांच टीम देश के भीतर और बाहर तक इस साजिश के सभी तारों को जोड़ने में जुटी है। एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह जांच न केवल दोषियों तक पहुंचेगी बल्कि यह भी पता लगाएगी कि क्या यह विस्फोट जानबूझकर किया गया था या किसी तकनीकी खराबी का नतीजा था। राजधानी की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है और एनआईए की टीमें लगातार दिल्ली और आसपास के इलाकों में छानबीन कर रही हैं।






