(पवन वर्मा- विभूति फीचर्स)
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में ऊर्जा विभाग की समाधान योजना की घोषणा कर लाखों घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने का बड़ा कदम उठाया है। इस समय प्रदेश में 91 लाख से अधिक लोगों पर आठ हजार करोड़ रुपए से अधिक के बिजली के बिल बकाया हैं। इस तरह राज्य में लगभग 90 लाख से अधिक उपभोक्ता इस योजना से लाभान्वित हो सकते हैं और इसके अंतर्गत करीब 3 हजार करोड़ रुपये तक का सरचार्ज माफ किया जा सकता है।
राज्य के ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल वर्षों से एक गंभीर समस्या रही है। आर्थिक असमानता, महामारी के बाद की चुनौतियाँ और कृषि आधारित आय पर निर्भरता ने लाखों परिवारों को बिजली बिलों के भुगतान में कठिनाई दी है। समाधान योजना इस वर्ग को राहत देने के उद्देश्य से लाई गई है ताकि सामान्य उपभोक्ता अपनी बकाया राशि का निपटारा कर सकें और राज्य की बिजली वितरण प्रणाली में विश्वास पुनर्स्थापित हो।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को केवल एक आर्थिक राहत योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक पुनर्संतुलन का प्रयास बताया है। उनका कहना है कि सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी नागरिक बिजली की सुविधा से वंचित न रहे। वे स्वयं ऊर्जा विभाग की बैठकों में लगातार इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि “सरकार को जनता से संवेदना के साथ व्यवहार करना चाहिए, न कि दंडात्मक दृष्टिकोण से।” यही दृष्टिकोण समाधान योजना की नींव बना।
समाधान योजना का ढांचा इस तरह तैयार किया गया है कि उपभोक्ता को बकाया बिल चुकाने का अवसर तो मिले ही, साथ ही उस पर लगा सरचार्ज भी समाप्त हो जाए। यह कदम राज्य सरकार के लिए वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन दीर्घकाल में इससे राजस्व वसूली की गति तेज होगी। अब तक हजारों उपभोक्ता ब्याज और सरचार्ज की वजह से बिल भरने से पीछे हटते थे, जिससे वितरण कंपनियों की वसूली पर भी असर पड़ता था। अब जब सरचार्ज माफी का प्रावधान किया गया है, तो बड़ी संख्या में उपभोक्ता स्वेच्छा से जुड़ रहे हैं।
इस योजना के लागू होते ही ऊर्जा विभाग ने जिलों में विशेष शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं, ताकि ग्रामीण और शहरी उपभोक्ता सीधे वहाँ जाकर अपने बिलों का निपटारा कर सकें। यह केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सरकार की नयी कार्यसंस्कृति का परिचायक है, जिसमें जनता को दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति दिलाने पर ध्यान दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कई अवसरों पर कहा है कि सरकारी योजनाएँ तब तक सार्थक नहीं होतीं जब तक वे आम नागरिक तक सरलता से न पहुँचें।
डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार की योजनाओं में “व्यवहारिक जनकल्याण” का स्पष्ट दिखाई देता है। चाहे वह छात्रवृत्ति, आवास या अब बिजली बिल माफी से जुड़ी योजना हो,हर पहल में उनका उद्देश्य “विश्वास की पुनर्स्थापना” दिखता है। समाधान योजना इसी दर्शन की निरंतरता है।
यह योजना आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने लगभग 3 हजार करोड़ रुपये तक के सरचार्ज माफ करने का अनुमान लगाया है, जो न केवल उपभोक्ताओं को राहत देगा बल्कि बिजली वितरण कंपनियों के खातों में वास्तविक बकाया राशि के रूप में नकद प्रवाह बढ़ाएगा। यह वित्तीय दृष्टि से एक व्यावहारिक और संतुलित निर्णय है, क्योंकि कई वर्षों से बकाया बिल वसूली के नाम पर करोड़ों रुपये कागज़ी दावों में फंसे हुए थे।
राजनीतिक रूप से भी यह कदम समयोचित है। लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार जनता के बीच काम कर रही है। डॉ. मोहन यादव की छवि एक ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में उभर रही है जो सख्त प्रशासन के साथ संवेदनशील नेतृत्व का भी उदाहरण हैं। वे न तो केवल घोषणाओं तक सीमित हैं, न ही केवल प्रदर्शन तक बल्कि योजनाओं को धरातल पर लागू कराने की प्रक्रिया में वे व्यक्तिगत रूप से रुचि लेते हैं।
समाधान योजना का भी संदेश यही है कि सरकार जनता के साथ खड़ी है। यह उन लाखों उपभोक्ताओं के लिए भी राहत का संकेत है जो अब तक ब्याज और दंड के बोझ तले दबे हुए थे। अब वे न केवल अपने पुराने बकाए से मुक्त हो सकेंगे, बल्कि नियमित भुगतान की दिशा में भी प्रेरित होंगे।
यहां सवाल केवल आर्थिक लाभ का नहीं है,यह सामाजिक न्याय और भरोसे के निर्माण की प्रक्रिया भी है। बिजली जैसी बुनियादी सुविधा का जब गरीब या मध्यमवर्गीय उपभोक्ता किसी कारणवश बिल नहीं चुका पाते, तो उनके ऊपर ब्याज और जुर्माना किसी दंड की तरह लग जाता है। समाधान योजना उस दंड को मिटाकर “नवीन शुरुआत” का अवसर देती है।
योजना का एक और बड़ा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल सकता है। कई गांवों में किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिल विवाद का कारण बनते रहे हैं। जब एक तरफ सरकार ब्याज माफ कर उन्हें राहत देती है, तो दूसरी ओर यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की दिशा में भी मददगार साबित होती है।
डॉ.मोहन यादव सरकार की यह पहल इस मायने में भी विशिष्ट है कि यह राजनीति से आगे बढ़कर सहभागिता को जन्म देती है। ऊर्जा विभाग ने जनता से सहयोग की अपील की है और उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे इस अवसर का लाभ लें। यह ‘सरकार बनाम जनता’ की नहीं, बल्कि ‘सरकार और जनता’ की साझेदारी का मॉडल है।
यदि इसे दीर्घकालिक दृष्टि से देखा जाए, तो समाधान योजना न केवल बिजली वितरण व्यवस्था को सुधार सकती है बल्कि राज्य में आर्थिक अनुशासन की संस्कृति को भी मजबूत करेगी। जब उपभोक्ता समय पर बिल चुकाने लगेंगे और विभाग समय पर सेवा देने लगेगा, तो पारदर्शिता और भरोसे का वह तंत्र बनेगा जो किसी भी जनकल्याणकारी शासन की नींव होता है।
राज्य सरकार की यह नीति दर्शाती है कि विकास केवल नीतियों से नहीं, बल्कि उनके पीछे की संवेदनशील सोच से संभव होता है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश आज उसी दिशा में बढ़ रहा है जहाँ प्रशासनिक निर्णयों के केंद्र में जनता का हित सर्वोपरि है। समाधान योजना उसी यात्रा का एक निर्णायक पड़ाव है, जो आर्थिक राहत के साथ-साथ सामाजिक विश्वास की पुनर्स्थापना का प्रतीक बनकर उभर रही है।
इस योजना में भुगतान के दो विकल्प दिए गए हैं। पहला यदि कोई एक मुश्त भुगतान करता है तो उसे अधिकतम छूट मिलेगी और अगर वह एक साथ अपनी बकाया राशि नहीं चुका सकता तो वह छह किश्तों में भी भुगतान कर सकता है।
इस योजना में घरेलू, कृषि,गैर घरेलू और औद्योगिक श्रेणियों के बकाया बिजली बिलों का समाधान किया जा रहा है। योजना का पहला चरण अभी चल रहा है जो 31 दिसंबर तक चलेगा । इसमें 60 से 100 प्रतिशत तक सरचार्ज माफ काया जाएगा। योजना का दूसरा चरण एक जनवरी 2026 से प्रारंभ होगा जिसमें 50 से 90 प्रतिशत सरचार्ज माफ किया जाएगा।






