शताब्दी पर ‘अभिव्यंजना’ की संगोष्ठी, ललित निबंधों के पुरोधा थे डॉ. विद्यानिवास मिश्र

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यूथ इंडिया समाचार
फर्रुखाबाद। प्रमुख साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘अभिव्यंजना’ की स्थापना शताब्दी के उपलक्ष्य में विचार एवं काव्य संगोष्ठी का आयोजन संस्था प्रमुख डॉ. रजनी सरीन के लोहाई रोड स्थित निवास पर किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कवि महेश पाल सिंह उपकारी की सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर गुजरात से पधारे डॉ. सुनील कुमार मानस मुख्य वक्ता रहे, जबकि संगोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डॉ. शिवओम अम्बर ने की।
मुख्य वक्ता डॉ. सुनील कुमार मानस ने कहा कि पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. विद्यानिवास मिश्र ललित निबंध के पुरोधा थे। उनके निबंधों में मानवीय संवेदनाओं की गुदगुदी और जीवन दर्शन की गहराई झलकती है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में वर्तमान वर्ष को डॉ. मिश्र की जन्मशताब्दी के रूप में मनाया जा रहा है, जो हिंदी साहित्य के गौरव का प्रतीक है।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. शिवओम अम्बर ने कहा कि साहित्य में गद्य और पद्य दोनों की अपनी-अपनी विशिष्ट भूमिका है। भारत भूमि पर समय-समय पर ऐसे मनीषियों ने जन्म लिया जिन्होंने हमारी संस्कृति को प्रत्येक कालखंड में अक्षुण्ण बनाए रखा। उन्होंने कहा कि डॉ. मिश्र की साहित्यिक विरासत आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. वंदना द्विवेदी ने कहा कि डॉ. विद्यानिवास मिश्र की रचनाओं में युवाओं के लिए गहरे जीवन संदेश छिपे हैं, जिन्हें पढऩा आज के दौर में अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर डॉ. रजनी सरीन ने हिंदी भाषा के प्रति लोगों में बढ़ती उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भाषा और संस्कृति की रक्षा हम सबका सामूहिक दायित्व है।
संगोष्ठी का संचालन डॉ. कृष्णकांत अक्षर ने किया। कार्यक्रम में गुंजा जैन, रामावतार शर्मा इंदु, आलोक रायजादा, प्रीति रायजादा, निमिष टंडन, गौरव मिश्र, अरविंद दीक्षित, अजय चौहान, कुलभूषण श्रीवास्तव, अंजुम दुबे सहित अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। यह जानकारी संस्था के समन्वयक भूपेंद्र प्रताप सिंह ने दी।

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