
प्रशांत कटियार
किसी व्यक्ति या साम्राज्य को खड़ा करने में वर्षों की मेहनत, लगन और ईमानदारी लगती है, लेकिन घमंड का एक क्षण उस पूरे परिश्रम को मिटा देता है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिसने भी अहंकार का मार्ग अपनाया, उसका पतन निश्चित हुआ। चाहे वह राजा रावण रहा हो, कौरव रहे हों या फिर आधुनिक युग के प्रभावशाली लोग, सभी का अंत एक ही दिशा में हुआ विनाश की ओर।रावण अत्यंत ज्ञानी था, शिवभक्त था, परंतु जब उसमें अहंकार आया तो उसका विवेक नष्ट हो गया। उसका पतन यह संदेश देता है कि विद्या, शक्ति और सामर्थ्य तभी तक सार्थक हैं जब तक उनमें विनम्रता का समावेश हो। अहंकार व्यक्ति को अंधा बना देता है, और जब दृष्टि धुँधली हो जाती है तो निर्णय गलत होने लगते हैं।आज के समय में भी यही दृश्य देखने को मिलता है। जब नेता सत्ता में आते हैं, तो उन्हें लगता है कि उनकी कुर्सी स्थायी है, लेकिन जनता के एक निर्णय से वही कुर्सी पलट जाती है। जिन हाथों ने कभी ताज पहनाया था, वही अगले चुनाव में हार की मुहर लगा देते हैं। यही लोकतंत्र का सच्चा संतुलन है जो घमंड करता है, वह गिरता है।अफसरशाही में भी कई उदाहरण हैं। कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारी अपने पद और शक्ति के अहंकार में कानून से ऊपर खुद को समझने लगते हैं, लेकिन समय के चक्र में वे भी गुमनाम हो जाते हैं। अनेक अफसर जिन्होंने जनता की सेवा के बजाय सत्ता का दुरुपयोग किया, अंततः निलंबन, जांच या बदनामी का सामना करते हैं।
वकीलों और पत्रकारों की दुनिया में भी यह सत्य उतना ही लागू होता है। जब कोई वकील न्याय के बजाय अहंकार में आकर खुद को कानून से ऊपर समझने लगता है, तो अदालत उसे विनम्रता का सबक सिखा देती है। वहीं, जब कोई पत्रकार सच्चाई के बजाय घमंड और दिखावे की राह चुनता है, तो उसकी कलम की ताकत खो जाती है। समाज पत्रकार से सत्य की अपेक्षा करता है, लेकिन जब सत्य के स्थान पर अहंकार हावी हो जाता है, तो विश्वास टूट जाता है और यही किसी भी पत्रकार के लिए सबसे बड़ा पतन होता है।विडंबना यह है कि लोग इन सब उदाहरणों को देखने और जानने के बाद भी आदत से बाज नहीं आते। बार बार इतिहास उन्हें चेतावनी देता है, परंतु फिर भी मनुष्य अपने घमंड के चक्र में फंस ही जाता है। अंत में परिणाम वही होते हैं,सम्मान की जगह अपमान, शक्ति की जगह बेबसी और सफलता की जगह विनाश।विनम्रता वह गुण है जो न केवल व्यक्ति को महान बनाता है बल्कि उसकी उपलब्धियों को स्थायी भी करता है। सफलता तब तक ही टिकती है जब तक उसके साथ नम्रता जुड़ी हो। जैसे वृक्ष फल लगने पर झुक जाता है, वैसे ही सच्चे कर्मशील व्यक्ति सफलता मिलने पर और अधिक विनम्र हो जाते हैं।
समय से बड़ा कोई नहीं। यह वही समय है जो राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने पद, शक्ति या सफलता पर कभी घमंड न करे, क्योंकि साठ साल की मेहनत मिटाने के लिए दो दिन ही पर्याप्त हैं। घमंड भले पल भर का सुख दे, पर उसका परिणाम सदा दुख और विनाश ही होता है।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के स्टेट हेड है।






